खाद्य तेल मिशन के तहत विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू

24-Dec-2025 05:05 PM

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने अगले- 7 वर्षों में खाद्य तेलों के आयातित देश की निर्भरता को 57 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से घटाकर 28 प्रतिशत पर लाने का  लक्ष्य निर्धारित करते हुए इस वर्ष खाद्य तेल-तिलहन मिशन लांच किया था और अब इसके तहत विभिन्न उपायों तथा स्कीमों का क्रियान्वयन भी आरंभ कर दिया है।

इसके तहत विभिन्न तिलहनों के बीजों की उन्नत प्रजातियों / किस्मों के इस्तेमाल का विस्तार करना, स्थानीय स्तर पर क्रशिंग- प्रोसेसिंग इकाइयों का क्लस्टर स्थापित करना, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तिलहनों की पर्याप्त खरीद सुनिश्चित करना और ग्रीष्मकाल में भी तिलहनों की खेती को बढ़ावा देना आदि प्लान सम्मिलित हैं।

खाद्य तेल-तिलहन पर राष्ट्रीय मिशन का उद्देश्य और लक्ष्य बहुत बड़ा है इसलिए इसके तहत अनेक तरह का कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।  

भारत पिछले अनेक वर्षों से दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश बना हुआ है और हाल के वर्षों में यहां इसके आयात में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।

खाद्य तेलों के आयात पर अत्यन्त विशाल धनराशि खर्च होती है जिससे राजकोष पर गहरा दबाव पड़ता है। वर्तमान समय में देश के अंदर 57 प्रतिशत खाद्य तेलों की मांग एवं जरूरत को विदेशों से आयात के जरिए पूरा किया जाता है

जबकि इस मिशन के तहत वर्ष 2032 तक खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता को 50 प्रतिशत से ज्यादा घटाकर 28 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अत्यन्त विशाल आयात होने के कारण भारतीय खाद्य तेल बाजार अब काफी हद तक वैश्विक बाजार से संचालित होने लगा है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 2025-26 के सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर 11 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सोयाबीन, सरसों, मूंगफली एवं सूरजमुखी की नव विकसित एवं उन्नत वैरायटी के बीजों का इस्तेमाल किया गया।

इन बीजों को व्यावसायिक खेती के लिए जारी किया गया था। इसका उद्देश्य पुरानी किस्मों बीजों को विस्थापित करके नए बीजों का उपयोग बढ़ाना है ताकि तिलहन फसलों की उत्पादकता दर में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सके।

इसके अलावा इस मिशन के अंतर्गत समूचे देश में फार्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) प्राइवेट फर्मों तथा सहकारी समितियों को ऑयल एक्सट्रैक्शन की 263 इकाइयां स्थापित करने की मंजूरी दी जा चुकी है। 

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक तिलहनों की पैदावार एवं प्रोसेसिंग को बढ़ाने के लिए देश के 500 जिलों में 1076 वैल्यू चेन क्लस्टर की पहचान की गई है जिसका कुल दायरा 12.90 लाख हेक्टेयर में फैला रहेगा।

एक ऑयल एक्सट्रैक्शन यूनिट की स्थापना पर करीब 30 लाख रुपए खर्च होते हैं जिसमें से सरकार द्वारा 7 लाख रुपए की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।