जीएम सोयाबीन एवं मक्का के निर्यात हेतु भारत पर अमरीकी दबाव बरकरार
24-Dec-2025 03:27 PM
डेस मोइंस। भारतीय बाजार में अपने जीएम सोयाबीन एवं मक्का की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अमरीका लगातार जोरदार प्रयास कर रहा है लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिल रही है।
समझा जाता है कि इस मुद्दे पर गतिरोध बरकरार रहने से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार संधि पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं हो सका है। दरअसल चीन को होने वाले निर्यात में जोरदार गिरावट आने से अमरीका को अपने जीएम मक्का एवं सोयाबीन के लिए वैकल्पिक बाजार की तलाश है और इसलिए उसकी नजर भारत पर केन्द्रित हो गई है।
भारत ने अभी तक जीएम फसलों के लिए अपना बाजार बंद कर रखा है और केवल गैर जीएम तथा ऑर्गेनिक फसलों के उत्पादन तक ही स्वयं को सीमित कर लिया है। भारतीय किसान जीएम खाद्य फसलों के उत्पादन के पक्ष में नहीं हैं और न ही विदेशों से इसका आयात पसंद करेंगे।
दरअसल अमरीकी जीएम मक्का काफी सस्ता होता है। यदि भारत में इसका विशाल आयात शुरू हो गया तो घरेलू उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
भारत में मक्का के उत्पादन में नियमित रूप से अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है जिससे घरेलू मांग एवं खपत आसानी से पूरी हो जाती है। यदि कभी आयात की जरूरत पड़ती है तो म्यांमार अथवा यूक्रेन से थोड़ी बहुत मात्रा में इसे मंगा लिया जाता है जहां गैर जीएम मक्का का उत्पादन होता है। शानदार उत्पादन होने से भारत में मक्का का भाव नरम पड़ गया है और किसानों को लाभप्रद वापसी हासिल करने में कठिनाई हो रही है।
जहां तक सोयाबीन का सवाल है तो इस बार अत्यधिक बारिश एवं खेतों में जल-जमाव के कारण फसल को कुछ नुकसान हुआ। लेकिन फिर भी घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धत की स्थिति सुगम बनी हुई है और कीमत भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रही है। सोयाबीन का लागत खर्च ऊंचा हो गया है।
भारत सरकार जीएम मक्का एवं सोयाबीन के लिए अपना बाजार नहीं खोलने पर अडिग है जिससे अमरीका भारी असमंजस में हैं।
भारत का कहना है कि गैर जीएम श्रेणी का होने के कारण उसके उत्पादों की वैश्विक मांग मजबूत रहती है। भारत में 130 लाख टन से अधिक सोयाबीन एवं 420 लाख टन से ज्यादा मक्का का वार्षिक उत्पादन होता है। विदेशों से सोयाबीन तेल का विशाल आयात हो रहा है जिससे घरेलू जरूरत पूरी हो जाती है।
