खाद्य तेलों के बढ़ते आयात पर कृषि मंत्री ने जताई गहरी चिंता

25-Jun-2025 01:21 PM

नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने खाद्य तेलों के लगातार तेजी से बढ़ते आयात पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए तिलहन-तेल के उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

उनका कहना है कि भारत को आदर्श रूप में खाद्य तेलों का आयात नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे स्वदेशी तिलहन उत्पादकों को अपने उत्पादों का आकर्षक एवं लाभप्रद मूल्य प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है लेकिन मांग एवं आपूर्ति के बीच लम्बा अंतर होने के कारण आयात को रोकना मुश्किल हो रहा है।

हालांकि सरकार ने घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए क्रूड श्रेणी के पाम तेल, सोया तेल एवं सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को आधा घटा दिया है लेकिन समीक्षकों का कहना है कि इससे तिलहन उत्पादकों एवं क्रशर्स प्रोसेसर्स पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सरकार को उसके हितों का भी ध्यान रखना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल कृषि मंत्रालय की पहल पर ही खाद्य तेलों के आयात पर मूल सीमा शुल्क में 20 प्रतिशत बिंदु का इजाफा किया गया था मगर चालू वर्ष के दौरान जब कीमतों में तेजी आने लगी तब 30 मई को इसे घटाकर 10 प्रतिशत नियत कर दिया गया।

इससे कृषि मंत्रालय की चिंता बढ़ गई। मंत्रालय को लगता है कि सीमा शुल्क में कटौती होने से देश में सस्ते विदेशी खाद्य तेलों के आयात का प्रवाह तेजी से बढ़ जाएगा जिससे तिलहन की खेती प्रभावित हो सकती है। 

कृषि मंत्री के मुताबिक सरकार को सभी पक्षों के हितों में संतुलन बनाने का प्रवाह करना होगा और खासकर तिलहन उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष उपाय करने होंगे।

स्वदेशी स्रोतो से तिलहन-तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सस्ते विदेशी खाद्य तेल के आयात प्रवाह को नियंत्रित करने की जरूरत है। खाद्य तेलों का आयात खर्च स्वदेशी तेल के दाम में नीचे नहीं होना चाहिए।

सबसे अच्छी बात तो यह होती कि भारत को खाद्य तेलों का आयात ही नहीं करना पड़ता लेकिन फिलहाल यह संभव नहीं है। इस आयात पर अंकुश लगाना आवश्यक है

अन्यथा किसानों को तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने का समुचित प्रोत्साहन नहीं मिल पाएगा और देश को आत्मनिर्भता का लक्ष्य हासिल करने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ेगा। खाद्य तेलों के आयात पर प्रति वर्ष अरबों डॉलर का खर्च बैठ रहा है।