खाद्य तेलों का आयात घटाने के लिए तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर

22-Oct-2024 06:19 PM

नई दिल्ली । विदेशों से खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार अब देश में तिलहनों की पैदावार बढ़ाने पर जोर दे रही है।

उसका कहना है कि विभिन्न उपायों के जरिए तिलहन फसलों एवं तेल धारक जिंसों का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

एक महत्वाकांक्षी निर्णय के तहत सरकार ने तिलहनों का घरेलू उत्पादन 2022-23 को 390 लाख टन से बढ़ाकर 2030-31 तक 697 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

इसके लिए तिलहन फसलों का बिजाई क्षेत्र 290 लाख हेक्टेयर के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर 330 लाख हेक्टेयर तथा फसलों की औसत उपज दर 1353 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 2112 किलो प्रति हेक्टेयर पर पहुंचाने का लक्ष्य नियत किया गया है।

ध्यान देने की बात है कि भारत में खरीफ, रबी एवं जायद- तीनों सीजन में तिलहनों की खेती होती है। इसका क्षेत्रफल तो काफी विशाल रहता है मगर औसत उपज दर काफी नीचे होने से कुल उत्पादन अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाता है। इसे देखते हुए सरकार ने खासकर तिलहन फसलों की उत्पादकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने का प्लान बनाया है।

भारत में सोयाबीन, सरसों एवं मूंगफली में से प्रत्येक का उत्पादन 100 लाख टन से ज्यादा होता है लेकिन अन्य तिलहनों- सूरजमुखी, तेल, अलसी तथा नाइजर सीड आदि की पैदावार बहुत कम होती है। इसी तरह ऑयल पाम का उत्पादन बढ़ाने की सख्त जरूरत महसूस हो रही है जिसके लिए अब प्रयास तेज किया गया है। 

भारत संसार में खाद्य तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश बना हुआ है जिसे एक नकारात्मक उपलब्धि माना जा सकता है।

सरकार खाद्य तेल-तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है। खाद्य तेलों के आयात पर अरबों रुपए खर्च हो रहे हैं जबकि घरेलू उत्पादन बढ़ाकर इसकी बचत की जा सकती है।