खरीफ कालीन तिलहन फसलों का रकबा घटना चिंता का विषय

06-Aug-2025 05:11 PM

नई दिल्ली। पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन एवं मूंगफली के साथ-साथ तिल एवं सूरजमुखी का उत्पादन क्षेत्र भी घट गया है और कुछ क्षेत्रों में भारी वर्षा एवं बाढ़ से फसलों को नुकसान होने की सूचना भी मिल रही है।

तिलहनों की बिजाई का आदर्श समय भी तेजी से बीतता जा रहा है जिससे क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी होने की संभावना क्षीण पड़ती जा रही है। यह गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि भारत पहले से ही दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ कालीन तिलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 178.10 लाख हेक्टेयर से 7.10 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 171 लाख हेक्टेयर पर अटक गया जो पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल 194.60 लाख हेक्टेयर से काफी पीछे है। अधिकांश इलाकों में बिजाई की प्रक्रिया लगभग समाप्त हो चुकी है। 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में इस बार सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 123.50 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 118.50 लाख हेक्टेयर रह गया है जो सामान्य औसत क्षेत्रफल 127.20 लाख हेक्टेयर से काफी पीछे है।

कमजोर बाजार भाव को देखते हुए सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र में 5-7 प्रतिशत  की गिरावट आने का अनुमान पहले से लगाया जा रहा है। 

जहां तक मूंगफली की बात है तो पहले इसका रकबा गत वर्ष से आगे चल रहा था मगर अब करीब 2 लाख हेक्टेयर पीछे हो गया है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 43.50 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 41.60 लाख हेक्टेयर रह गया है जो 45.10 लाख हेक्टेयर के सामान्य औसत क्षेत्रफल से भी काफी पीछे है।

यही स्थिति तिल की है जिसका बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 9 लाख हेक्टेयर से गिरकर इस वर्ष 8.40 लाख हेक्टेयर पर अटक गया है जबकि इसका सामान्य औसत क्षेत्रफल 10.30 लाख हेक्टेयर आंका गया है। सूरजमुखी का रकबा 70 हजार हेक्टेयर से गिरकर 60 हजार हेक्टेयर रह गया है। 

खाद्य तेलों के विशाल आयात पर अंकुश लगाने के लिए सरकार अनेक उपाय कर रही है मगर कोई भी उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है। पिछले खरीफ सीजन में बफर स्टॉक के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रिकॉर्ड मात्रा सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीद की गई और 2025-26 के सीजन के लिए इसके समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोत्तरी की गई है लेकिन फिर भी किसान उत्साहित नहीं है।