कमजोर निर्यात प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने रोडटेप स्कीम की अवधि बढ़ाई

27-Sep-2023 03:01 PM

नई दिल्ली । कमजोर निर्यात प्रदर्शन एवं सुस्त वैश्विक मांग को देखते हुए केन्द्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्यात संवर्धन योजना- रेमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टेक्ससेस ऑन एक्सपोर्टेड प्रोडक्ट्स (रोडटेप) की समय सीमा को नौ माह के लिए आगे बढ़ा दिया है।

इसकी अवधि 30 सितम्बर 2023 को समाप्त होने वाली थी लेकिन अब सरकार ने इसे 30 जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया है। ज्ञात हो कि इस स्कीम के तहत निर्यातकों को निर्यातित उत्पादों पर लगने वाले शुल्क एवं टैक्स को बाद में वापस लौटा दिया जाता है।

किसी या मौजूदा निर्यात उत्पाद की शुल्क वापसी दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि इससे भारतीय निर्यातक समुदाय को बेहतर शर्तों पर मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय माहौल (वातावरण) में निर्यात अनुबंधों के लिए नए सिरे से बातचीत करने में सहायता मिलेगी।

यह स्कीम विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) के नियमों-प्रावधानों के अनुकूल है   और इसे लागू करने में कोई समस्या जटिलता नहीं है। 
रोडटेप स्कीम के अंतर्गत निर्यातकों को इनपुट पर लगने वाले गैर साखिय केन्द्रीय, प्रांतीय एवं स्थानीय स्तर के शुल्क एवं कर को वापस लौटाने की व्यवस्था होती है।

30 सितम्बर 2023 को इसकी समयसीमा समाप्त होने से पूर्व ही सरकार ने इसे 30 जून 2024 तक बरकरार रखने की घोषणा कर दी जिससे निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी।

हालांकि शुल्क रिफंड में अक्सर काफी देर हो जाती है लेकिन फिर भी इससे निर्यातकों का हौसला बढ़ता है। इस स्कीम को पहले पहल 1 जनवरी 2021 को अधिसूचित किया गया था जिसने एक विवादास्पद योजना- मर्चैंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (मेइस) का स्थान लिया था।

विश्व व्यापार संगठन ने अपने एक आदेश में कहा था कि मेइस योजना वैश्विक व्यापार के नियमों एवं प्रावधानों का उललंघन करती है क्योंकि इसमें वस्तुओं की एक विशाल श्रृंखला के लिए निर्यात सब्सिडी प्रदान की जा रही है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच इस स्कीम पर 27,018 करोड़ रुपए खर्च किए गए। चालू वित्त वर्ष के दौरान 10,610 उत्पाद लाइनों को सहयोग-समर्थन देने के लिए 15,070 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।