कमजोर मानसून के कारण कर्नाटक-तमिलनाडु में कावेरी जल विवाद गहराया

27-Sep-2023 11:19 AM

बंगलोर । दक्षिण भारत में मानसून के कमजोर रहने तथा अपर्याप्त बारिश होने के कारण एक बार फिर कर्नाटक एवं तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी पर विवाद बढ़ गया है।

पिछले दिन कन्नड़ संगठनों, कृषक समूहों एवं श्रमिक यूनियनों ने 21 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश का विरोध करने के लिए बंगलोर बंद का आह्वान किया जिसमें कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए रोजाना 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कहा गया था। चूंकि बारिश कम होने से कावेरी नदी का जलस्तर घट गया है इसलिए कर्नाटक तमिलनाडु को इसका पानी देने से इंकार कर रहा है। उधर तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा में जल स्तर बढ़ गया है। 

उल्लेखनीय है कि कावेरी नदी के पानी के बंटवारे पर पिछले 200 वर्षों से विवाद चला आ रहा है। यह नदी कर्नाटक के कोडागू जिले से निकलकर तमिलनाडु की ओर बहती है। हालांकि अदालत ने वर्ष 2018 में इस विवाद का औपचारित तौर पर निस्तारण कर दिया था लेकिन इसके बावजूद इस पर विवाद बरकरार रहा। कर्नाटक में कावेरी नदी के उद्गम क्षेत्रों में इस अबार पानी कम बरसने से विवाद और भी गंभीर हो गया।

अब दक्षिण-पश्चिम मानसून का सीजन समाप्त होने वाला है जबकि कर्नाटक के कावेरी बेसिन में निर्मित बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर घटकर काफी नीचे आ गया है। ध्यान देने की बात है कि कावेरी नदी बंगलोर के लिए पेयजल तथा मांड्या संभाग के लिए सिंचाई का प्रमुख स्रोत है।

किसान संगठन तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी नहीं देने के लिए कर्नाटक सरकार पर दबाव रहे हैं। इन संगठनों को राजनीतिक दलों का सहयोग-समर्थन भी प्राप्त हो रहा है। लेकिन चूंकि पानी छोड़ने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से आया है इसलिए राज्य सरकार इसकी अवहेलना नहीं कर सकती है।