एथनॉल की वजह से मक्का का महत्व एवं उत्पादन बढ़ने की उम्मीद

13-Sep-2024 12:54 PM

नई दिल्ली । भारत में मक्का अब धीरे-धीरे एक प्रमुख कृषि उत्पादक बनता जा रहा है। वैसे पहले से ही देश में चावल और गेहूं के बाद मक्का का ही सर्वाधिक उत्पादन होता रहा है मगर इसे ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं माना जाता था और इसलिए इसका दाम भी सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे रहता था।

लेकिन अब पशु आहार, पॉल्ट्री फीड तथा स्टार्च निर्माण उद्योग के साथ-साथ एथनॉल उत्पादन में भी मक्का की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है जिससे कीमतों में भारी इजाफा हो रहा है और तदनुरूप किसानों को इसका उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल रहा है। 

राष्ट्रीय स्तर पर मक्का का औसत मूल्य फिलहाल 2300 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है जो 2090 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा है।

पिछले साल इस समय मक्का का दाम 1940 रुपए प्रति क्विंटल के करीब था जिसके मुकाबले भाव अभी लगभग 20 प्रतिशत ऊंचा है।

केन्द्र सरकार ने 2024-25 के मार्केटिंग सीजन हेतु मक्का का एमएसपी 6.5 प्रतिशत बढ़ाकर 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। 

दिलचस्प तथ्य यह है कि एक तरफ भारत में मक्का का दाम ऊंचा एवं तेज चल रहा है तो दूसरी ओर वैश्विक बाजार में नरम बना हुआ है।

म्यांमार से गैर जीएमओ मक्का का शुल्क मुक्त आयात हो रहा है और दक्षिण भारत के गोदामों / वेयर हाउसों तक इसकी पहुंच का ख़र्च 2680 रुपए प्रति क्विंटल बैठ रहा है जबकि देश के अन्य भागों से मंगाए जाने वाले मक्का का खर्च 3000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब बैठता है।

कीमतों में इस अंतर के कारण 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में मक्का का आयात अक्टूबर-जून के दौरान बढ़कर 5.40 लाख टन पर पहुंच गया जो वर्ष 2000 के बाद सबसे ज्यादा था।

विदेशों से मक्का का आयात धीरे-धीरे जरूरत में तब्दील हो सकता है क्योंकि घरेलू प्रभाग में इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ने की संभावना है।

देश में लगभग 360-370 लाख टन मक्का का वार्षिक उत्पादन एवं उपयोग होता है जिसमें इसका निर्यात भी शामिल है। मक्का की 60 प्रतिशत खपत फीड निर्माण में होती है जबकि 14 प्रतिशत उपयोग स्टार्च में तथा 7 प्रतिशत उपयोग खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में किया जाता है।

शेष मक्का का इस्तेमाल प्रत्यक्ष मानवीय खपत एवं निर्यात उद्देश्य में होता रहा है। अब इसमें एथनॉल उद्योग की नई मांग जुड़ जाएगी जिससे अंसुतलन की स्थिति पैदा हो सकती है।