चीनी उत्पादन को प्राथमिकता देने हेतु एथनॉल निर्माण को हतोत्साहित करने का प्लान

07-Dec-2023 03:31 PM

नई दिल्ली । गन्ना की कमजोर फसल को देखते हुए भारत में चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान एथनॉल निर्माण में इसका  उपयोग घटाने तथा चीनी के उत्पादन में इस्तेमाल बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है ताकि घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। चीनी का बाजार भाव पहले से ही काफी ऊंचे स्तर पर है जबकि उत्पादन में भारी गिरावट आने का संकेत मिलने पर इसमें और भी तेजी आने की संभावना बन सकती है। 

उद्योग समीक्षकों के अनुसार एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस का इस्तेमाल घटाना इस बार आवश्यक होगा ताकि चीनी का उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिल सके। वैसे भी पिछले सीजन के मुकाबले इस बार चीनी का घरेलू उत्पादन घटने की प्रबल संभावना है। एथनॉल में गन्ना का उपयोग घटाकर चीनी के उत्पादन में गिरावट को कुछ कम किया जा सकता है। 

व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक सरकार चीनी मिलों से कह सकती है कि वे एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस एवं बी- हैवी शीरा का ज्यादा इस्तेमाल न करे और इसके बजाए चीनी का उत्पादन बढ़ाने को प्राथमिकता दे।

तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा चीनी मिलों से भारी मात्रा में एथनॉल खरीद कर उसे पेट्रोल में मिलाया जाता है जबकि अन्य कई उद्देश्यों में भी एथनॉल का इस्तेमाल होता है।

सरकार पिछले कुछ वर्षों से एथनॉल के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है और ओएमसी के लिए इसकी खरीद के मूल्य में भी भारी इजाफा कर चुकी है लेकिन इस बार हालात अनुकूल नहीं हैं।

महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे अग्रणी चीनी उत्पादक राज्यों में ख़राब मौसम के कारण गन्ना की फसल को भारी नुकसान हुआ है जिससे चीनी के उत्पादन के लिए भी मिलों को पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल प्राप्त होना मुश्किल है। मिलों की दुविधा यह है कि चीनी और एथनॉल- दोनों से उसे बेहतर आमदनी प्राप्त हो सकती है। 

वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मांग एवं आपूर्ति की स्थिति का आंकलन करने के बाद मंत्री समिति ने इस बार चीनी के उत्पादन संवर्धन पर ध्यान केन्द्रित करने का फैसला किया है। चीनी मिलों को केवल सी-हैवी शीरा से एथनॉल निर्माण की अनुमति दी जा सकती है।

उसमें चीनी का नगण्य अंश मौजूद रहता है। 1 नवम्बर से 2023-24 का नया एथनॉल मार्केटिग सीजन आरंभ हो चुका है और एथनॉल की खरीद के लिए नया दिशा निर्देश शीघ्र ही घोषित किया जा सकता है। ओएमसी को उन अनुबंधों का पालन करना पड़ेगा जो पहले ही हो चुके हैं। अगले सौदों के लिए सीमा नियत हो सकती है।