बिजाई क्षेत्र में वृद्धि के बावजूद कुछ फसलों का उत्पादन बढ़ने में संदेह

05-Sep-2024 11:27 AM

नई दिल्ली । सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर धान, अरहर (तुवर), मूंग, मक्का, ज्वार, रागी, सोयाबीन एवं मूंगफली जैसी फसलों के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है जिससे आमतौर पर इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है

लेकिन जिस तरह दक्षिण-पश्चिम मानसून अपना कहर बरपा रहा है उसे देखते हुए उपरोक्त फसलों की पैदावार में इजाफा होने की संभावना क्षीण पड़ती जा रही है। 

जून में कमजोर रहने के बाद जुलाई तथा अगस्त में मानसून की सक्रियता काफी बढ़ गई और सितम्बर में भी सामान्य औसत से 9 प्रतिशत अधिक बारिश होने का अनुमान मौसम विभाग ने लगाया है।

इसके फलस्वरूप देश के कई भागों में मूसलाधार वर्षा एवं नदियों में उफान आने के कारण प्रलययंकारी बाढ़ का प्रकोप देखा जा रहा है।

भारी वर्षा एवं भयंकर  बाढ़ वहां खरीफ फसलों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। दिक्कत यह है कि खरीफ फसलों की बिजाई का सीजन अब अंतिम चरण में पहुंच गया है इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में दोबारा बिजाई करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।

बेशक केन्द्रीय कृषि मंत्रालय बिजाई क्षेत्र के आधार पर खरीफ फसलों के उत्पादन का अनुमान निर्धारित करे मगर उसे बाढ़-वर्षा से फसल को हुए नुकसान की वास्तविकता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

जिन फसलों का रकबा घटा है उसे भी प्राकृतिक आपसे से क्षति हुई है। इसमें उड़द, मोठ, बाजरा, तिल, अरंडी एवं कपास मुख्य रूप से शामिल हैं। सितम्बर की जोरदार बारिश अगैती बिजाई वाली फसल के लिए नुकसान दायक साबित होगी।