बिजाई क्षेत्र में गिरावट के साथ-साथ बाढ़-वर्षा से भी कपास की फसल को नुकसान

16-Sep-2024 10:59 AM

मुम्बई । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर कपास का उत्पादन क्षेत्र  पिछले साल के 123.39 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 112.13 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जबकि इसकी बिजाई की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है।

कपास का बिजाई क्षेत्र गुजरात, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों के साथ-साथ राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब जैसे राज्यों में भी घटा है जबकि कर्नाटक तथा उड़ीसा में इसके क्षेत्रफल में मामूली बढ़ोत्तरी हुई है। बाढ़-वर्षा एवं जल भराव से कपास की फसल को क्षति होने की सूचना है। 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान कपास का रकबा महाराष्ट्र में 42.22 लाख हेक्टेयर से घटकर 40-75 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 26.79 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 23.62 लाख हेक्टेयर  और तेलंगाना में 18.01 लाख हेक्टेयर से गिरकर 17.39 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया। 

इसी तरह कपास का उत्पादन क्षेत्र मध्य प्रदेश में 6.50 लाख हेक्टेयर से गिरकर 6.14 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 6.65 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.76 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 7.90 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 5.19 लाख हेक्टेयर  तथा आंध्र प्रदेश में 3.90 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 3.71 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।

दूसरी ओर इसका बिजाई क्षेत्र कर्नाटक में 6.60 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 6.74 लाख हेक्टेयर तथा उड़ीसा में 2.34 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 2.36 लाख हेक्टेयर हो गया। पंजाब में रकबा घटा है।

उल्लेखनीय है कि उड़ीसा में बीटी कॉटन की खेती नहीं होती है। अन्य राज्यों में बीटी कॉटन एवं परम्परागत कपास- दोनों की खेती होती है। 

पिछले दो माह के दौरान प्रमुख उत्पादक इलाकों में मूसलाधार बारिश होने, भयंकर बाढ़ आने तथा खेतों में पानी भर जाने से कपास की फसल को नुकसान हुआ है।

कुछ राज्यों में वर्षा का दौर अभी जारी है जिससे क्षति का दायरा बढ़ने की आशंका है। रूई के नए माल की आवक का मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर अगले महीने (अक्टूबर) शुरू होगा।

कपास का पिछला बकाया स्टॉक कम रहने तथा सीजन का उत्पादन भी घटने की संभावना है जिससे आगामी महीनों में रूई का बाजार भाव ऊंचा और तेज हो सकता है।