बाढ़ और वर्षा से बिगड़े हालात

07-Sep-2024 06:22 PM

यूं तो चालू वर्ष के दौरान खरीफ फसलों की बिजाई में कुल मिलाकर अच्छी बिजाई हुई है मगर दक्षिण-पश्चिम मानसून की जोरदार सक्रियता से देश के विभिन्न भागों में अत्यन्त जोरदार बारिश होने तथा भयंकर बाढ़ आने से फसलों को काफी नुकसान भी हो रहा है।

इस बार ऐसे क्षेत्रों में भी बाढ़ का माहौल देखा जा रहा है जहां परम्परागत रूप से सूखे का प्रकोप रहता है। जून में मानसून कमजोर रहा था मगर जुलाई-अगस्त में काफी सक्रिय हो गया और सितम्बर में भी इसकी जोरदार सक्रियता देखी जा रही है। इससे खेतों में पानी भर गया है।

यदि आगे भी वर्षा का भीषण दौर जारी रहा तो खरीफ फसलों के शानदार उत्पादन की संभावना क्षीण पड़ सकती है। खरीफ सीजन में धान, दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, कपास एवं गन्ना आदि फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है और देश में 50 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन इसी सीजन में होता है। 

बाढ़-वर्षा से खासकर तुवर, उड़द एवं मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, मक्का तथा कपास की फसल को विशेष खतरा बना हुआ है।

देश के विभिन्न राज्यों में लाखों एकड़ भूमि में खरीफ फसलें अब तक इसकी भेंट चढ़ चुकी हैं और नुकसान का दायरा आगे और बढ़ने की आशंका है।

महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना जैसे महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्यों में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है।

ऐसा प्रतीत होता है कि मानसून पिछले साल की निष्क्रियता की कसर को इस बार पूरा कर रहा है। दलहन-तिलहन फसलों की हालत पर विशेष नजर रखने की आवश्यकता है क्योंकि वे बाढ़ एवं जल-जमाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती है। अगैती बिजाई वाली फसल विशेष रूप से प्रभावित हो रही है।