अंतिम चरण की मानसूनी वर्षा से खरीफ फसलों पर मिश्रित असर

25-Sep-2023 01:19 PM

नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश इस वर्ष असमान, अनियमित एवं अनिश्चित देखी जा रही है। जुलाई में मानसून की हालत संतोषजनक मगर अगस्त में निराशाजनक देखी गई। अब चालू माह (सितम्बर) के दौरान मानसून पुनः सक्रिय हुआ है।  

पश्चिमी राजस्थान के कुछ भागों से 25 सितम्बर यानी आज से मानसून के वापस लौटने की प्रकिया कुछ शुरू होने वाली है। हालांकि वहां से मानसून के प्रस्थान का नियत समय 17 सितम्बर है लेकिन इस बार उसकी विदाई कुछ देर से होगी।

इससे पूर्व मानसून देश के कई राज्यों में पूरी शक्ति एवं प्रबलता के साथ सक्रिय बना हुआ है जिसमें बिहार, बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ अदि शामिल हैं।

दिलचस्प तथ्य यह है कि पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान इन सभी राज्यों में धान के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है और वहां हो रही बारिश इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल के लिए वरदान साबित हो सकती है। 

मौसम विभाग ने कहा है कि अपनी वापसी यात्रा के दौरान मानसून देश के कई राज्यों में बरस सकता है। यदि ऐसा हुआ तो न केवल मानसून सीजन के दौरान कुल संचयी बारिश सामान्य औसत की श्रेणी में आ जाएगी बल्कि विभिन्न खरीफ फसलों को फायदा भी होगा।

लेकिन फसल कटाई-तैयारी के समय अत्यन्त मूसलाधार वर्षा होने एवं तेज हवा चलने पर अगैती फसल प्रभावित हो सकती है और खासकर उसकी क्वालिटी पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। कुछ फसलों के दाने दागी भी हो सकते हैं जिसमें मूंग, उड़द, मूंगफली एवं तिल आदि शामिल हैं। 
दक्षिणी राज्यों में वर्षा का अभाव बना हुआ है और मानसून की वापसी यात्रा के दौरान भी अगर वहां जोरदार बारिश नहीं हुई तो मुख्य खरीफ फसलों के साथ बागानी एवं बागवानी फसलों को भी नुकसान हो सकता है जिसमें कालीमिर्च एवं छोटी इलायची जैसी मसाला फसलें भी शामिल हैं। केरल और कर्नाटक में बारिश के लिए हाहाकार मचा हुआ है। महाराष्ट्र एवं गुजरात में सितम्बर की वर्षा से हालत कुछ सुधरी है।