अगस्त के सूखे से पूरी तरह नहीं उबर पाएगी सोयाबीन की फसल

26-Sep-2023 10:51 AM

नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 123.91 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 125.13 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

आमतौर पर क्षेत्रफल में हुई इस वृद्धि से सोयाबीन का कुल उत्पादन बढ़ना चाहिए मगर अगस्त के दौरान मौसम अत्यन्त शुष्क एवं गर्म होने से कई क्षेत्रों में फसल की भारी क्षति हुई। इसके अलावा कीड़ों-रोगों के आघात से भी फसल प्रभावित हुई।

मोटे अनुमान के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर करीब 12-15 प्रतिशत फसल क्षतिग्रस्त हुई है और कुछ अन्य क्षेत्रों में फसल का ठीक से विकास नहीं होने के कारण इसकी औसत उपज दर तथा दाने की क्वालिटी पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। 

उद्योग व्यापार समीक्षकों के अनुसार मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में सोयाबीन की फसल को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है। महाराष्ट्र में भी कुछ जिलों में फसल को सूखे से क्षति हुई।

हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष मध्य प्रदेश में सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र कुछ घट गया है लेकिन महाराष्ट्र में रकबा बढ़ा है। असली समस्या मौसम की रही। कुछ इलाकों में नई फसल की छिटपुट आवक शुरू हो चुकी है लेकिन मुख्य फसल की कटाई-तैयारी नियत समय से 10-15 दिन देरी से आरंभ हो सकती है।

थोक मंडियों में माल की सीमित आवक होने के बावजूद कीमतों में तेजी के संकेत नहीं मिल रहे हैं क्योंकि विदेशों से विशाल मात्रा में सस्ते खाद्य तेल का आयात होने से घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता काफी बढ़ गई है और इसलिए अन्य खाद्य तेलों के साथ सोयाबीन तेल की कीमतों पर भी दबाव पड़ रहा है। सोया रिफाइंड तेल का भाव मिलों में घटकर 100 रुपए प्रति किलो से नीचे आ गया है।