उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान हुई सामान्य वर्षा

05-Feb-2025 04:21 PM

नई दिल्ली । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)  ने कहा है कि उत्तर-पूर्व मानसून का आगमन 15 अक्टूबर को हुआ जो नियत समय 20 अक्टूबर से 5 दिन पूर्व था लेकिन अक्टूबर-दिसम्बर 2024 की तिमाही के दौरान कुल  संचयी वर्षा 50 वर्षीय औसत से करीब 3 प्रतिशत कम हुई।

उत्तर-पूर्व मानसून आधिकारिक तौर पर तमिलनाडु से 27 जनवरी 2025 को प्रस्थान कर गया जबकि इसकी विदाई की तिथि 20 दिसम्बर को ही समाप्त हो गई थी। इस तरह यह मानसून अपने नियत समय से चार सप्ताह के बाद वापस लौटा। 

आईएमडी ने जनवरी से मार्च 2025 की तिमाही के दौरान देश के अधिकांश भागों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है। उत्तर पूर्व मानसून के दौरान देश में असमान बारिश हुई।

इससे पूर्व दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता बनी हुई थी जो इस बार 17 सितम्बर की नियत तिथि के बजाए 15 अक्टूबर को विदा हुआ था।

उत्तर पूर्व मानसून के दौरान दक्षिण भारत में अधिक वर्षा होती है जिसमें तटीय आंध्र प्रदेश, रॉयल सीमा, तमिलनाडु, दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक एवं केरल आदि शामिल हैं।

मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर-पूर्व मानसून सीजन के दौरान नवम्बर 2024 में सामान्य औसत से 55 प्रतिशत कम वर्षा हुई

मगर दिसम्बर 2024 में 74 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई। अक्टूबर से दिसम्बर 2024 के बीच कुछ संचयी वर्षा 117.4 मि०मी० पर पहुंची जो दीर्घकालीन औसत (एलपीए) 121 मि०मी० से 3 प्रतिशत कम रही। 

उत्तरी भारत में वर्षा की कमी से बांधों- जलाशयों में जल स्तर काफी घट गया है। इसके तहत खासकर पंजाब, बिहार एवं हिमाचल प्रदेश में पानी के स्टॉक में भारी गिरावट आ गई है जबकि अन्य प्रांतों में भी इसमें पिछले 10-12 सप्ताहों से कमी आ रही है।

अब सबका ध्यान मार्च से मई के दौरान होने वाली मानसून-पूर्व की वर्षा पर केन्द्रित है जो जायद फसलों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।