उत्तरी क्षेत्र के राजस्थान में 60 प्रतिशत से अधिक पानी का भंडार

01-Aug-2025 07:26 PM

नई दिल्ली। उत्तरी क्षेत्र के राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों में इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान जोरदार बारिश होने से बांधों-जलाशयों में पानी का भंडार बढ़कर 60 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया है जिससे मौजूदा खरीफ सीजन तथा आगामी सीजन की फसलों की सिंचाई के लिए पानी का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध हो सकेगा।

राजस्थान में तो इतनी धमाकेदार बारिश हुई है कि राज्य का लगभग आधा हिस्सा बाढ़ या जल भराव की चपेट में आ गया है। इसके फलस्वरूप राज्य के बांधों-जलाशयों में पूरी भंडारण क्षमता के सापेक्ष पानी का स्टॉक बढ़कर 85 प्रतिशत पर पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में भी 59 प्रतिशत भंडारण क्षमता के समतुल्य पानी का स्टॉक मौजूद है।

पंजाब में यह स्टॉक जून में घटकर 23 प्रतिशत पर आ गया था जो अब दोगुना बढ़कर 46.33 प्रतिशत पर पहुंच गया है। सम्पूर्ण उत्तरी क्षेत्र के 11 प्रमुख बांधों-जलाशयों में पानी का स्टॉक बढ़कर 12.241 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पर पहुंच गया है जो उसकी कुल भंडारण क्षमता 19.836 बीसीएम का 60 प्रतिशत से ज्यादा है। 

इसी तरह देश के पश्चिम संभाग के 50 प्रमुख बांधों- जलाशयों में पानी का भंडार 27.264 बीसीएम पर पहुंच गया है जो कुल भंडारण भंडारण क्षमता 37.357 बीसीएम का 73 प्रतिशत है। गोवा के जलाशय पानी से लबालब भरे हुए हैं जबकि महाराष्ट्र बांधों में 84 प्रतिशत तथा गुजरात के बांधों में 61 प्रतिशत  पानी का स्टॉक उपलब्ध है। 

मध्यवर्ती क्षेत्र के बांधों में भी जल स्तर तेजी से बढ़ा है। वहां मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखंड में अच्छी बारिश हुई है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ का परिदृश्य बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में भी खेतों में पानी भरने से दलहन-तिलहन फसलों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। इसमें सरगुजा जिला भी शामिल है।

उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड संभाग में हमीरपुर, बांदा, झांसी तथा औरेया जैसे जिलों में अत्यन्त मूसलाधार बारिश की वजह से उड़द की फसल क्षतिग्रस्त होने की आशंका है।

इस मध्यवर्ती क्षेत्र के कुल 28 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर बढ़कर 34.277 बीसीएम पर पहुंच गया है जो उसकी कुल भंडारण क्षमता 48.588 बीसीएम का 70.5 प्रतिशत है। पानी का स्तर मध्य प्रदेश में 75.5 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 70 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 66 प्रतिशत तथा उत्तराखंड में 44 प्रतिशत पर पहुंच गया है।