सोयाबीन तथा मूंगफली के बाद अब सरसो के उत्पादन पर सबकी नजर
08-Nov-2024 05:17 PM
नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा होने तथा बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होने से इस वर्ष खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली तथा सोयाबीन के उत्पादन में इजाफा होने का अनुमान है जबकि अब रबी सीजन में सरसो की बिजाई भी आरम्भ हो गई है। भारत में इन तीनो प्रमुख तिलहन फसलों का उत्पादन 100 लाख टन (प्रत्येक) से ज्यादा होता है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार 2023-24 सीजन की तुलना में 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन 130.62 लाख टन से 3 लाख टन बढ़कर 133.60 लाख टन तथा मूंगफली का उत्पादन 86.60 लाख टन से 17 लाख टन उछलकर 103.60 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। सरकार का यह पहला उत्पादन अनुमान है जबकि आगे तीन अन्य अनुमान जारी होने वाले है इसलिए आगामी समय में तिलहनों के उत्पादन अनुमान में कुछ बदलाव हो सकता है। खरीफ कालीन तिलहन फसलों का कुल उत्पादन भी पिछले साल के 241.62 लाख टन से 15.83 लाख टन बढ़कर इस बार 257.45 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है।
यदि सरसो का उत्पादन बेहतर हुआ तो घरेलू श्रोतो से खाद्य तेलों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ जाएगी जिससे विदेशो से इसके आयात की आवश्यकता घट सकती है। साल्वेंट एक्स टैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया (सी) का कहना है कि खाद्य तेलों का आयात 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में वनस्पति तेलों का आयात तेजी से उछलकर 165 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था।
रबी सीजन के दौरान तिलहन फसलों के संवर्ग में मुख्यतः सरसो का ही उत्पादन होता है जबकि थोड़ी बहुत मात्रा में मूंगफली एवं अलसी की पैदावार भी होती है। सरसो के प्रमुख सबसे उत्पादक सरसो के सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त-राजस्थान में बिजाई कुछ पीछे चल रही है क्योंकि वहां मौसम पूरी तरह इसकी बिजाई के लिए अनुकूल नहीं है। इसके आलावा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा ,गुजरात, बंगाल एवं बिहार जैसे राज्यों में भी सरसो का भारी उत्पादन होता है। इसकी नई फसल की आवक फरवरी-मार्च 2025 में आरम्भ होगी।