मूंग-उड़द का रकबा बढ़ा मगर तुवर का क्षेत्रफल पीछे

01-Jul-2025 05:49 PM

नई दिल्ली। खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल- अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से कुछ पीछे चल रहा है। 27 जून तक तुवर का बिजाई क्षेत्र 8.35 लाख हेक्टेयर पर पहुंच सका जो पिछले साल के 8.67 लाख हेक्टेयर से 3.7 प्रतिशत या 32 हजार हेक्टेयर कम है।

वैसे बिजाई क्षेत्र में ज्यादा अंतर नहीं है और यदि महाराष्ट्र तथा कर्नाटक जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में मौसम एवं मानसून की हालत अनुकूल रही तो कुल क्षेत्रफल के इस मामूली अंतर की भरपाई आसानी से हो सकती है।

दूसरी ओर समीक्षाधीन अवधि में उड़द का उत्पादन क्षेत्र 1.42 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.35 लाख हेक्टेयर तथा मूंग का बिजाई क्षेत्र 4.30 लाख हेक्टेयर से उछलकर 8.58 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

बेशक सरकार ने तुवर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2024-25 सीजन के 7550 रुपए प्रति क्विंटल से 450 रुपए बढ़ाकर 2025-26 सीजन के लिए 8000 रुपए प्रति क्विंटल तथा उड़द का समर्थन मूल्य 7400 रुपए प्रति क्विंटल से 400 रुपए बढ़ाकर 7800 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है

लेकिन साथ ही साथ इन दोनों अफ्रीकी देशों से सस्ती तुवर का निर्बाध आयात जारी रहेगा जिससे घरेलू बाजार मूल्य पर दबाव भी बरकरार रह सकता है। अब भी घरेलू उत्पाद की तुलना में विदेशी तुवर सस्ती है जबकि अगले कुछ सप्ताहों के बाद अफ्रीका में नई फसल की आपूर्ति आरंभ हो जाएगी। 

पिछले साल की तुलना में वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र और गुजरात में तुवर के उत्पादन  क्षेत्र में कुछ बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन कर्नाटक में बिजाई क्षेत्र घट गया है।

तुवर की बिजाई के लिए किसानों के पास अभी पर्याप्त समय है लेकिन उत्साह एवं मनोबल का अभाव दिख रहा है। महाराष्ट्र एवं कर्नाटक उत्पादक इलाकों में बारिश की आवश्यकता बनी हुई है। 

तुवर का थोक मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है और किसानों की अपने उत्पाद पर आकर्षक वापसी हासिल नहीं हो रही है। इससे उत्पादक विचलित हो सकते हैं।

सरकार ने तुवर की 100 प्रतिशत अधिशेष मात्रा खरीदने का संकल्प दोहराया है लेकिन फिर भी किसानों की दिलचस्पी इस महत्वपूर्ण दलहन की खेती में ज्यादा बढ़ने में संदेह लगता है।

बिजाई की प्रक्रिया समाप्त होने तक निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। यदि चालू माह के दौरान तुवर की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई तो किसानों को इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सकता है।