राजस्थान में एफपीओ को 40 हजार टन से अधिक गेहूं खरीदने में सफलता
22-May-2025 10:46 AM

जयपुर। वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान देश के पश्चिमी प्रान्त- राजस्थान में करीब 9 फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) को किसानों से 40 हजार टन से ज्यादा गेहूं खरीदने में सफलता हासिल हो सकी।
इसमें से अधिकांश एफपीओ हनुमान गढ़ जिले के हैं। इन एफपीओ ने संयुक्त रूप से गेहूं की खरीद का जो लक्ष्य निर्धारित किया था, वास्तविक खरीद उससे करीब 70 प्रतिशत अधिक हुई।
गेहूं की खरीद में एफपीओ की सफलता की यह कहानी भविष्य में सरकार के लिए काफी सुखद साबित हो सकती है और इससे सरकार को भविष्य में खाद्यान्न खरीद के लिए एक वैकल्पिक एजेंसी के तौर पर एफपीओ को प्रोमोट करने में सहायता मिल सकती है।
इसे सरकार को प्राइवेट सेक्टर, मिलर्स तथा कमीशन एजेंटों पर निर्भरता घटने में आसानी होगी। एफपीओ से खाद्यान्न खरीदना सरकार के लिए ज्यादा सरल होगा।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चालू वर्ष के दौरान राजस्थान में 20 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य नियत करते हुए सरकार ने 10 मार्च से इसकी खरीद की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आरंभ कर दी थी। सरकार इस निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेताब थी और इसलिए एक सहकारी एजेंसी- राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) ने कुछ एफपीओ की सेवा प्राप्त करने का प्रयास किया।
20 मई 2025 तक इन एफपीओ द्वारा केन्द्रीय पूल के लिए 100 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के गेहूं की बिक्री की गई जिसे सदस्य किसानों तथा अन्य उत्पादकों से एकत्रित किया गया था।
राजस्थान में गेहूं की सरकारी खरीद पर इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (2425 रुपए प्रति क्विंटल) से ऊपर किसानों को 150 रुपए प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त बोनस दिया जा रहा है।
वहां गेहूं की सरकारी खरीद में पिछले साल के मुकाबले अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है और कुल खरीद नियत लक्ष्य के काफी करीब पहुंच गई है।
विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान में एफपीओ की सफलता की कहानी को देश के अन्य राज्यों में गेहूं एवं धान की खरीद के लिए चरणबद्ध रूप से दोहराए जाने की आवश्यकता है।
असली मुद्दा यह है कि इसके प्रति सरकार अभी तक गंभीर नहीं रही है और न ही उसे केन्द्रीय पूल के लिए खाद्यान्न की खरीद के लिए अनुमति या मान्यता दी गई है।
यदि एक वैकल्पिक एजेंसी के रूप में एफपीओ को मान्यता मिलती है तो सरकार के साथ किसानों को भी काफी राहत मिल जाएगी। देश के अधिकांश राज्यों में भारी संख्या में एफपीओ को मौजूद और क्रियाशील है जो कृषि उत्पादों की खरीद में सरकारी एजेंसी वाली भूमिका निभा सकते हैं।