नारियल तेल उद्योग द्वारा सरकार से कोपरा के आयात की अनुमति देने का आग्रह

22-May-2025 01:09 PM

कोच्चि। घरेलू प्रभाग में साबुत नारियल एवं कोपरा की आपूर्ति एवं उपलब्धता सीमित होने तथा कीमतों में भारी तेजी आने से नारियल तेल उद्योग की कठिनाई काफी बढ़ गई है।

नारियल तेल निर्माता अब सरकार  से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोपरा एवं नारियल के आयात की स्वीकृति देने की मांग कर रहे हैं।

कोचीन ऑयल मर्चेंट्स एसोसिएशन (कोमा) के अध्यक्ष का कहना है कि निर्माताओं द्वारा झेली जा रही समस्या को दूर करने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाना होगा।

फिलहाल देश में नारियल तथा कोपरा के आयात पर नियंत्रण लगा हुआ है जबकि उद्योग को उचित दाम पर इसका पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं हो रहा है।

उद्योग प्रतिनिधि सरकार से कोपरा तथा नारियल तेल के आयात को खोलने की अनुमति चाहते हैं और इसके लिए सक्षम अधिकारियों से मुलाकात करने की योजना बना रहे हैं। 

कोमा अध्यक्ष के अनुसार मांग एवं जरूरत की तुलना में फिलहाल 30-35 प्रतिशत कोपरा का अभाव देखा जा रहा है जबकि कमी का संकट बढ़ता जा रहा है। अनेक प्रोसेसिंग इकाइयों को ऊंचे दाम पर भी कच्चा माल प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है।

दुनिया के अन्य प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देशों जैसे इंडोनेशिया, फिलीपींस एवं श्रीलंका आदि से नारियल तथा कोपरा के आयात से यह संकट दूर हो सकता है और नारियल तेल की कीमतों पर अंकुश लग सकता है। 

कच्चे माल की भारी कमी एवं ऊंची कीमत के कारण तैयार उत्पाद का लागत खर्च काफी बढ़ गया है। इसके फलस्वरूप नारियल तेल का खुदरा भाव तेजी से उछलकर 350 रुपए प्रति लीटर हो गया है जबकि शीघ्र ही इसके कुछ और बढ़कर 400 रुपए प्रति लीटर के शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है।

इसी तरह कोपरा का दाम बढ़कर तमिलनाडु में 188 रुपए प्रति किलो तथा केरल में 186 रुपए प्रति किलो के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। उल्लेखनीय है कि लघु एवं मध्यम स्तरीय नारियल तेल निर्माण इकाइयों में लगभग 25 हजार श्रमिक कार्यरत हैं और यदि कोपरा- नारियल की भारी कमी से इन प्रोसेसिंग मिलों के बंद होने की नौबत आई तो वे सारे श्रमिक बेरोजगार हो जायेंगे। 

केरल में साबुत नारियल का दाम पिछले साल के 20 रुपए प्रति किलो से उछलकर इस बार 62 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है जिससे कोपरा के दाम में स्वाभाविक रूप से जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो गई है।

निकट भविष्य में स्वदेशी स्रोतों से इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने की उम्मीद नहीं है इसलिए विदेशों से इसका आयात करना आवश्यक समझा जा रहा है।