ओएमएसएस में अच्छी बिक्री के बावजूद चावल के सरकारी स्टॉक में वृद्धि

26-Aug-2025 11:01 AM

नई दिल्ली। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अच्छी मात्रा में बिक्री होने, राज्यों को बेहतर आवंटन किए जाने तथा एथनॉल निर्माताओं का उठाव बरकरार रहने के बावजूद केन्द्रीय पूल में सरकारी चावल का स्टॉक बढ़ता जा रहा है।

अब सरकार ने भारत ब्रांड के तहत बिक्री के लिए अपनी एजेंसियों को 5 लाख टन चावल का कोटा आवंटित किया है और इसकी बिक्री जल्दी शुरू होने वाली है। ओएमएसएस के तहत चावल की नीलामी बिक्री 6 अगस्त से ही आरंभ हो चुकी है। 

पिछले साल ओएमएसएस के तहत 46.30 लाख टन चावल की रिकॉर्ड बिक्री हुई थी जबकि मौजूदा संकेतों से पता चलता है कि चालू वर्ष की बिक्री उससे भी आगे निकल सकती है।

जानकार सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान अब तक विभिन्न मदों में रियायती मूल्य वाले 41.90 लाख टन चावल का उठाव हो चुका है लेकिन फिर भी केन्द्रीय पूल में 530 लाख टन से अधिक चावल का  विशाल स्टॉक मौजूद है जो 1 अक्टूबर के लिए नियत न्यूनतम बफर मात्रा 102.50 लाख टन से चार गुणा से भी ज्यादा है।

इसमें 140 लाख टन वह चावल भी शामिल है जो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को राइस मिलर्स से प्राप्त होना है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस चावल के समतुल्य धान का स्टॉक उपलब्ध है जिसे कस्टम मिलिंग के लिए मिलर्स को दिया गया है। 

समस्या यहीं खत्म नहीं होती है। आगामी अक्टूबर (2025) से धान की नई फसल उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इसकी भारी खरीद की जाएगी और उसे पुनः राइस मिलर्स को आवंटित किया जाएगा।

मिलर्स इसके बदले में नवम्बर से खाद्य निगम को चावल की आपूर्ति शुरू कर देंगे। इससे केन्द्रीय पूल में चावल का स्टॉक बढ़ता जाएगा और इसके सुरक्षित भंडारण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। धान का उत्पादन क्षेत्र इस बार बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं जिससे चावल का उत्पादन बढ़ सकता है।

आमतौर पर सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रति वर्ष 520-530 लाख टन के बीच चावल की खरीद की जाती है। जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 360-380 लाख टन चावल की निकासी (जरुरत) होती है।