मगज-तरबूज आयात नोटिफिकेशन पर संशय

19-Jun-2025 07:04 PM

उत्पादक केन्द्रों पर बिजाई का कार्य आरंभ   

नई दिल्ली। मगज-तरबूज के प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में बिजाई का कार्य आरम्भ हो गया है। अगर आगामी दिनों में मानसून अच्छा रहता है तो निश्चित ही दूसरे वर्ष भी बिजाई क्षेत्रफल में वृद्धि होगी। सूत्रों का मानना है कि किसानों को अच्छी कीमत मिलने के कारण बिजाई 20/25 प्रतिशत बढ़ सकती है।   

उल्लेखनीय है कि 4/5 वर्ष पूर्व मगज-तरबूज के भाव 125/150 रुपए प्रति किलो रहते थे और देश में उत्पादन 30/35 हजार टन का रहता था। मगर वर्ष 2023 में आई रिकॉर्ड तेजी के कारण मगज-तरबूज की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा, परिणामस्वरूप देश में मगज-तरबूज का उत्पादन भी बढ़कर 45/50 हजार टन के स्तर पर पहुंच गया है। 

नोटिफिकेशन में देरी 

आमतौर पर सरकार मई-जून माह के दौरान नोटिफिकेशन जारी कर देती थी लेकिन इस वर्ष अभी तक आयात नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि आयात नोटिफिकेशन जुलाई माह में जारी हो सकता है जबकि कुछ व्यापारियों का मानना है कि वर्ष 2024-25 के दौरान रिकॉर्ड आयात होने के कारण इस वर्ष आयात की अनुमति नहीं देगी। उल्लेखनीय है कि आमतौर पर सरकार मगज-तरबूज आयात की अनुमति कोटा प्रणाली के तहत देती है लेकिन वर्ष 2023 में रिकॉर्ड भाव बन जाने के कारण वर्ष 2024 में मगज तरबूज का आयात ओजीएल के तहत खोल दिया था। जिस कारण से वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड आयात किया गया। 

मंदा-तेजी सरकारी नीति पर 

मगज-तरबूज का मन्दा तेजी सरकारी नीति पर निर्भर करेगा। सरकार आयात की अनुमति देती है या नहीं। अगर अनुमति देती है तो कोटा प्रणाली के तहत देती है या ओजीएल के तहत। सूत्रों का मानना है कि अगर सरकार आयात की अनुमति देती है तो कीमतों में तेजी संभव नहीं है। अगर नहीं देती तो कीमतों में 50/75 रुपए प्रति किलो की तेजी आ सकती है। 

वर्ष 2023 में भाव 

देश में पैदावार कम रहने एवं सूडान में गृह युद्ध के चलते आयात प्रभावित होने के कारण नवम्बर-दिसम्बर 2023 में मगज-तरबूज के भाव 820/830 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे। जबकि वर्तमान में भाव 510/530 रुपए के स्तर पर बोले जा रहे हैं।

आयात आवश्यक 

उल्लेखनीय है कि देश में खपत की तुलना में मगज तरबूज का उत्पादन 50 प्रतिशत ही होता है। अप्रैल - 2025 के दौरान भी मगज-तरबूज इंडस्ट्रीज ने सरकार से आग्रह किया था कि वह मगज-तरबूज का आयात खोले ताकि इंडस्ट्रीज सुजारु रूप से चल सके। लेकिन सरकार ने इनकी मांग नहीं मानी थी। सूत्रों का कहना है कि मगज तरबूज की हमारी सालाना खपत लगभग 85/90 हजार टन की रहती है। जबकि घरेलू उत्पादन 45/50 हजार टन का रहता है अतः खपत पूर्ति के लिए आयात आवश्यक है। 

स्टॉक 

कारोबारियों का कहना है कि वर्ष 2024-25 के दौरान आयात अधिक होने से नई फसल आने तक स्टॉक पर्याप्त है। एक अनुमान के अनुसार उत्पादक केन्द्रों पर वर्तमान में देसी मालों का स्टॉक 4/5 हजार टन माना जा रहा है। जबकि विदेशी मालों का स्टॉक 20/25 हजार टन माना जा रहा है। देश में नए मालों की आवक दीपावली के आसपास शुरू होगी। 

रिकॉर्ड आयात 

वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान मगज-तरबूज का रिकॉर्ड आयात किया गया। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आयात 86273 टन का रहा। सर्वाधिक आयात जुलाई-अगस्त - 2024 में किया गया। जुलाई - 2024 के दौरान 25161.84 टन एवं अगस्त में 25856.76 टन का आयात हुआ। वर्ष 2023-24 में आयात 35750 टन का हुआ था जबकि वर्ष 2022-23 में आयात 65989 टन का रहा था। वर्ष 2021-22 में आयात केवल 20355 टन का हुआ था।