चना की सरकारी खरीद की अवधि मध्य जुलाई तक बढ़ने की संभावना
19-Jun-2025 08:03 PM

नई दिल्ली। रबी सीजन के सबसे प्रमुख दलहन-चना की सरकारी खरीद की समय सीमा 30 जून 2025 को समाप्त होने वाली है लेकिन बफर स्टॉक के लिए आरंभिक संशोधित लक्ष्य के मुकाबले बहुत कम खरीद होने के कारण इसकी अवधि को और 15 दिन बढ़ाए जाने की संभावना है।
इसका मतलब यह हुआ कि अब 15 जुलाई 2025 तक किसानों से 5650 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चना की सरकारी खरीद जारी रह सकती है। यह दूसरा अवसर होगा जब चना की खरीद का समय बढ़ाया जाएगा।
आरंभिक रूप से 31 मई तक चना की खरीद का समय निश्चित किया गया था जिसे बाद में 30 जून तक बढ़ा दिया गया। इससे खरीद की मात्रा कुछ बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि 2024-25 के रबी सीजन में चना के घरेलू उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने बफर स्टॉक के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कुल 28 लाख टन की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया था।
बफर स्टॉक में चना की मात्रा घटकर काफी कम रह गई थी इसलिए जिन प्रमुख उत्पादक राज्यों ने जितनी मात्रा में किसानों से इस महत्वपूर्ण दलहन की खरीद का प्रस्ताव भेजा उसे कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया।
लेकिन ऊंचे बाजार भाव के कारण जब अस्थायी एजेंसियों को खरीद बढ़ाने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा और यह निश्चित हो गया कि 28 लाख टन चना खरीदना संभव नहीं हो पाएगा तब खरीद का लक्ष्य घटाकर पहले 10-15 लाख टन और बाद में 4-5 लाख टन निर्धारित कर दिया गया।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चना की सरकारी खरीद कम से कम 3.50 लाख टन तक पहुंचने के पक्के आसार हैं इसलिए 4 लाख टन का लक्ष्य व्यावहारिक प्रतीत होता है।
हालांकि सरकार का इरादा चना की खरीद को 5 लाख टन तक पहुंचाने का है मगर वह काफी कठिन साबित हो सकता है। एक अग्रणी उत्पादक राज्य- मध्य प्रदेश में चना की खरीद की समयावधि पूरी हो चुकी है इसलिए सरकार अब राजस्थान, महाराष्ट्र एवं गुजरात जैसे प्रांतों पर विशेष ध्यान दे रही है।
समझा जाता है कि केन्द्रीय बफर स्टॉक के लिए अभी तक 3.10 लाख टन से कुछ अधिक चना खरीदा जा चुका है जिसमें गुजरात का योगदान सर्वाधिक करीब 1.50 लाख टन का रहा।
इसके बाद मध्य प्रदेश में 99 हजार टन, तथा राजस्थान में 50 हजार टन चना खरीदा गया। महाराष्ट्र में केवल 3 हजार टन की खरीद संभव हो सकी।
सरकार को अब मानसून की भारी वर्षा से खरीद बढ़ने की आशा है क्योंकि बरसात में चना का सुरक्षित भंडार करने में किसानों को कठिनाई होगी और वो इसकी बिक्री बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।