खाद्य तेल की खुदरा कीमतों पर शुल्क कटौती के प्रभाव की समीक्षा

19-Jun-2025 05:01 PM

नई दिल्ली। केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीमा शुल्क में भारी कटौती किए जाने के बाद खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अधिकारियों द्वारा समूचे देश में खाद्य तेलों की प्रमुख रिफाइनिंग एवं प्रोसेसिंग इकाइयों का निरीक्षण-परीक्षण किया गया।

इसका उद्देश्य क्रूड खाद्य तेलों पर मूल आयात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत नियत किए जाने के बाद रिफाइंड श्रेणी के सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल तथा पामोलीन के उच्चतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तथा वितरकों के लिए मूल्य (पीटीडी) पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन करना है। 

जिन राज्यों की खाद्य तेल रिफाइनरीज एवं प्रोसेसिंग सुविधाओं का गहन निरीक्षण-परीक्षण किया गया उसमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं गुजरात शामिल है। उल्लेखनीय है कि इन्हीं राज्यों में खाद्य तेल की अधिकांश प्रोसेसिंग इकाइयां क्रियाशील हैं।

देश की अधिकांश इकाइयों ने खाद्य तेलों के एफआरपी तथा पीटीडी में कटौती कर दी है जिससे रिफाइंड खाद्य तेल का भाव नरम पड़ने लगा है। 

विज्ञप्ति के अनुसार सरकार ने 30 मई 2025 को क्रूड खाद्य तेलों पर मूल आयात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत नियत किया था और यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू हो गया था।

इससे क्रूड खाद्य तेलों के आयात खर्च में कमी आ गई और इससे कंपनियों को रिफाइंड खाद्य तेलों के दाम को घटाने में सहायता मिल रही है।

अप्रैल तक सामान्य से कम आयात होने के बाद मई से खासकर पाम तेल के आयात में बढ़ोत्तरी होने लगी और जून में आयात तेजी से बढ़ने की संभावना है।

कांडला बंदरगाह पर आयातित खाद्य तेलों से लदे जहाजों का जमघट होने लगा है और इसके क्लीयरेंस में 8-10 दिनों तक का समय लग रहा है।

समझा जाता है कि निर्यातक देशों में भाव तेज होने से भारतीय आयातकों द्वारा पाम तेल के कुछ अनुबंधों को कैंसिल किया जा रहा है जो जुलाई-अगस्त शिपमेंट के लिए हुए थे। 

सरकार का कहना है कि अगले कुछ दिनों में खाद्य तेल का बाजार काफी हद तक स्थिर हो जाएगा और जिन कंपनियों ने अपने उत्पाद का दाम अभी तक नहीं घटाया है वे भी इसमें कटौती करेंगी। शुल्क कटौती का लाभ धीरे-धीरे आम उपभोक्ताओं तक पहुंचने के संकेत मिल रहे हैं।