जनवरी में पाम तेल का आयात घटकर 14 वर्षों के निचले स्तर पर सिमटने का अनुमान

05-Feb-2025 03:39 PM

मुम्बई । हालांकि जनवरी 2025 में हुए खाद्य तेलों के आयात का विस्तृत आंकड़ा सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) द्वारा मध्य फरवरी में जारी किया जाएगा लेकिन उससे पहले उद्योग-व्यापार क्षेत्र के विश्लेषको ने जो अनुमान व्यक्त किया है उससे पता चलता है कि जनवरी 2025 के दौरान भारत में पाम तेल का आयात लुढ़ककर पिछले 14 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर अटक गया।

इसका कारण सोयाबीन तेल का सस्ता होना है जिससे भारतीय रिफाइनर्स को क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के बजाए क्रूड डिगम्ड सोयाबीन तेल का आयात बढ़ाने का प्रोत्साहन मिला। पाम तेल की कम आवक होने से भारत में खाद्य तेलों के कुल आयात में भी गिरावट आ गई। 

उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार दिसम्बर 2024 के मुकाबले जनवरी 2025 के दौरान भारत में पाम तेल का आयात 46 प्रतिशत घटकर 2.72 लाख टन पर अटकने का अनुमान है जो मार्च 2091 के बाद का सबसे निचला स्तर है।

उल्लेखनीय है कि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान भारत में औसतन 7.50 लाख टन से अधिक पाम तेल का मासिक आयात हुआ लेकिन वर्तमान मार्केटिंग सीजन का आंकड़ा इससे काफी पीछे चल रहा है। 

जनवरी में पाम तेल का आयात लुढ़ककर पिछले अनेक वर्षों के निम्न स्तर पर आने का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था क्योंकि भारतीय रिफाइनर्स सोयाबीन की खरीद को विशेष प्राथमिकता दे रहे थे।

विश्लेषकों के अनुसार दिसम्बर के मुकाबले जनवरी में सोयाबीन तेल का आयात 4 प्रतिशत सुधरकर 4.38 लाख टन पर पहुंचा जो पिछले सात माह का उच्चतम स्तर था। इसी तरह सूरजमुखी तेल का आयात भी 9.5 प्रतिशत बढ़कर 2.90 लाख टन पर पहुंच गया। 

पाम तेल के आयात में जबरदस्त गिरावट आने से जनवरी में खाद्य तेलों का कुल आयात भी 15.6 प्रतिशत घटकर 10 लाख टन रह जाने का अनुमान है जो पिछले 11 महीनों का सबसे छोटा आंकड़ा है।

एक विश्लेषक का कहना है कि निर्यातक देशों- इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड में पाम तेल का भाव ऊंचा रहने से भारतीय रिफाइनर्स को इसकी रिफाइनिंग से घाटा होने लगा था। इस ऋणात्मक मार्जिन के कारण उसे पाम तेल का आयात घटाने के लिए बाध्य होना पड़ा।