इस वर्ष भी मानसून की वर्षा सामान्य से अधिक होने का अनुमान

15-Apr-2025 07:37 PM

नई दिल्ली। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने वर्ष 2024 की भांति 2025 के दौरान भी देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के सीजन में दीर्घकालीन औसत (एलपीए) से अधिक वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया है।

मौसम विभाग के अनुसार चालू वर्ष के दौरान जून से सितम्बर के चार महीनों में एलपीए के सापेक्ष देश में 105 प्रतिशत बारिश हो सकती है। उल्लेखनीय है कि इस बार जून-सितम्बर 2025 के दौरान वर्षा का एलपीए 87 सेंटी मीटर अनुमानित किया गया है। 96 से 104 प्रतिशत तक की बारिश को सामान्य माना जाता है जबकि मौसम विभाग ने 105 प्रतिशत वर्षा होने का अनुमान लगाया है। 

अधिकांश मौसम वैज्ञानिक भी भारतीय मानसून के बारे में कुछ इसी तरह का अनुमान जता रहे हैं। पिछले सप्ताह प्राइवेट मौसम एजेंसी- स्काइमेट ने कहा था कि इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून की कुल संचयी वर्षा एलपीए के 103 प्रतिशत हो सकती है जो सामान्य बारिश की श्रेणी में आती है।

विशेषज्ञों के अनुसार अलनीनो सॉदर्न ऑसिलेशन (एनसो) अब उदासीन या न्यूट्रल हो चुका है और जून में मानसून के आने तक यह न्यूट्रल ही रह सकता है। इससे मानसून को फायदा होगा और देश में अच्छी वर्षा हो सकती है।

जनवरी से मार्च 2025 के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध में सामान्य से कम बर्फबारी हुई जबकि हिन्द महासागर का डायपोल (आईओडी) भी न्यूट्रल बना हुआ है। इन दोनों कारकों के प्रभाव से भारत में इस बार मानसून की स्थिति अच्छी रहने की उम्मीद है।

ज्ञात हो कि वर्ष 2024 में दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान देश में 8 प्रतिशत अधिशेष बारिश हुई थी जो पिछले तीन साल यानी वर्ष 2020 के बाद का सबसे बढ़िया प्रदर्शन माना गया। 

मानसून की पहली बौछार के साथ ही भारत में खरीफ फसलों की बिजाई का अभियान शुरू हो जाता है। मानसून की वर्षा को खरीफ फसलों के लिए ऑक्सीजन (प्राण वायु) माना जाता है।

यदि वर्षा अच्छी हुई तो देश में चावल, दलहन, तिलहन एवं मोटे अनाजों के बेहतर उत्पादन की उम्मीद बनी रहेगी। इससे सरकार को खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था सुधरने से अन्य सेक्टर्स का आधार भी मजबूत बनेगा। खरीफ फसलों का बेहतर उत्पादन होना आवश्यक है।