होर्मुज जलडमरू मध्य को बंद करने के ईरान के निर्णय से कई देश होंगे प्रभावित
23-Jun-2025 11:29 AM

तेहरान। अपने तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर अमरीकी हमले के बाद ईरान की संसद ने एक महत्वपूर्ण जल मार्ग- होर्मुज जल डमरू मध्य (स्ट्रेट ऑफ होर्मुज) को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। ज्ञात हो कि दुनिया में करीब 25 प्रतिशत क्रूड खनिज तेल (पेट्रोलियम) एवं प्राकृतिक गैस की आपूर्ति इसी जलमार्ग से होती है।
इस रास्ते के बंद होने से अनेक देशों को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का आयात करने में भारी कठिनाई होगी और वहां इसका दाम भी तेजी से बढ़ेगा।
ईरान-इजरायल युद्ध के कारण पेट्रोलियम का वैश्विक बाजार भाव पहले ही ऊंचा हो चुका है और एशिया के विकासशील तथा अल्प विकसित देशों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ने लगा है। खनिज तेल का रिश्ता महंगाई के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।
इस स्ट्रेट की भौगोलिक स्थिति अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फारस की खाड़ी को अरब सागर और हिन्द महासागर से जोड़ता है। सबसे संकीर्ण बिंदु पर इस स्ट्रेट की चौड़ाई करीब 33 कि०मी० है और यह उत्तर में ईरान को दक्षिण में अरब प्रायद्वीप से अलग करता है।
लेकिन इस जलमार्ग में शिपिंग का गलियारा केवल 3 कि०मी० चौड़ा है और इसलिए इसके बंद होने की घोषणा के बाद यदि कोई जहाज इस रास्ते से गुजरेगा तो ईरान उस पर आसानी से आक्रमण कर सकता है।
ध्यान देने की बात है कि पश्चिम एशिया के प्रमुख पेट्रोलियम निर्यातक देशों- सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, कुवैत एवं ईरान से क्रूड खनिज तेल के अधिकांश जहाजों को इसी संकीर्ण जल मार्ग से गुजरना पड़ता है।
पहले जब फारस की खाड़ी में व्यवधान उत्पन्न होता था तब अमरीका एवं यूरोप पर सर्वाधिक प्रतिकूल असर पड़ता था मगर अब चीन सहित एशिया के अधिकांश देश भी इससे बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
जहां तक भारत का सवाल है तो बेशक पेट्रोलियम मंत्री दावा कर रहे हैं कि होर्मुज स्ट्रेट के बंद होने का कोई खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन हकीकत यह है कि भारत में रोजाना 55 लाख बैरल खनिज तेल मंगाया जाता है
जिसमें से करीब 20 लाख बैरल का आयात इसी संकीर्ण जलमार्ग के जरिए होता है। वैसे भारत के पास रूस, अमरीका एवं ब्राजील जैसे देशों से खनिज तेल मंगाने का विकल्प मौजूद है।