गुजरात और महाराष्ट्र में कपास के बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट

27-Aug-2025 09:29 PM

नई दिल्ली। देश के दोनों शीर्ष रूई उत्पादक राज्य- गुजरात एवं महाराष्ट्र में पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान कपास के बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आई है। यद्यपि कुछ प्रांतों में इसका रकबा बढ़ा है मगर फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर कुल क्षेत्रफल पीछे रह गया।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन में कपास का कुल उत्पादन  क्षेत्र 22 अगस्त तक 108.47 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 111.39 लाख हेक्टेयर से 2.92 लाख हेक्टेयर तथा पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल 129.50 लाख हेक्टेयर से लगभग 21 लाख हेक्टेयर कम है। कपास की बिजाई लगभग पूरी हो चुकी है। 

25 अगस्त तक की बिजाई के लिए प्रांतीय स्तर पर जो आंकड़ा जारी किया गया है उससे ज्ञात होता है कि कपास का रकबा गुजरात में पिछले साल के 23.61 लाख हेक्टेयर से 2.89 लाख हेक्टेयर घटकर इस बार 20.72 लाख हेक्टेयर तथा महाराष्ट्र में 40.74 लाख हेक्टेयर से 2.30 लाख हेक्टेयर गिरकर 38.40 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। 

देश के कुल 10 राज्यों में बीटी कॉटन की खेती होती है जिसमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान शामिल है। इसके अलावा उड़ीसा सहित कुछ अन्य राज्यों में सिर्फ परम्परागत  किस्मों की कपास का उत्पादन होता है।

गत वर्ष के मुकाबले इस बार न केवल कपास के बिजाई क्षेत्र में करीब 3 लाख हेक्टेयर  की गिरावट आई है बल्कि अनेक क्षेत्रों में बाढ़-वर्षा तथा कीड़ों-रोगों के प्रकोप से फसल को नुकसान भी हो रहा है जिससे रूई की पैदावार एवं क्वालिटी प्रभावित होने की आशंका है।

अमरीका में 50 प्रतिशत टैरिफ लगने का सर्वाधिक प्रतिकूल असर भारतीय वस्त्र उद्योग पर ही पड़ने की संभावना है। यदि टेक्सटाइल उद्योग पर संकट बरकरार रहा तो रूई के दाम में तेजी आने की उम्मीद बहुत कम रहेगी और तब केन्द्रीय एजेंसी-  भारतीय कपास निगम को किसानों से भारी मात्रा में कपास खरीदना पड़ेगा।