भारत सरकार अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध

27-Aug-2025 06:09 PM

नई दिल्ली। हालांकि अमरीका का ट्रम्प प्रशासन भारत के खिलाफ काफी सख्त रवैया अपना रहा है और इसलिए उसने अनेक भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम आयात शुल्क लगा दिया है

लेकिन भारत इससे विचलित नहीं है और न ही अमरीकी दबाव के आगे झुकने वाला है। भारतीय प्रधानमंत्री बार-बार अनेक मंचों से उद्घोष कर चुके हैं कि सरकार किसानों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसके खिलाफ कभी कोई समझौता नहीं करेगी। 

भारत के खिलाफ अमरीकी राष्टृपति के इस सख्त रुख में अमरीका के आम नागरिक भी दुखी और परेशान हैं। यह सही है कि डोनाल्ड ट्रम्प अमरीकी किसानों के हितों के लिए इतना सख्त कदम उठा रहे हैं क्योंकि भारत ने अमरीकी मक्का एवं सोयाबीन के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इंकार कर दिया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि यही एक मात्र कारण नहीं है।

डोनाल्ड ट्रम्प और उसके सलाहकार चीन के रिस्पांस की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि चीन अमरीकी कृषि उत्पादों के आयात का अग्रणी बाजार है। चीन पर अमरीका काफी सोच समझ कर निर्णय ले रहा है। 

पिछले सप्ताह अमरीकी सोयाबीन निर्यात परिषद द्वारा वाशिंगटन में सोया कनेक्स्ट 2025 का आयोजन किया गया था जिसमें खासकर चीन के बाजार पर चर्चा की गई।

वर्ष 2017 से पूर्व करीब दो दशकों तक चीन के प्रति अमरीका का रवैया काफी नरम रहा था क्योंकि चीन में अमरीकी कृषि उत्पादों का विशाल निर्यात हो रहा था जिसमें सोयाबीन, गेहूं एवं मक्का आदि शामिल थे।

चीन भी अमरीका में अपने उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ा रहा था। लेकिन 2017-18 में जब दोनों देशों के बीच पहला व्यापारिक विवाद पैदा हुआ तब चीन ने तत्परता दिखाते हुए अमरीका से आयात रोकने का प्लान बनाया। 

अब एक बार फिर चीन अमरीकी कृषि उत्पादों के आयात में कम दिलचस्पी दिखा रहा है। अमरीका में एक माह से भी कम समय में सोयाबीन की नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने वाली है मगर चीन ने अभी तक इसकी खरीद का कोई अग्रिम अनुबंध नहीं किया है और इसके बजाए वह ब्राजील से महंगे सोयाबीन का आयात कर रहा है।

ऐसा प्रतीत होता है कि मक्का की खरीद में भी चीन ऐसा ही रूख अपना सकता है। गेहूं की खरीद के लिए भी चीन के पास अनेक विकल्प हैं।

इससे अमरीकी किसानों एवं नीति निर्माताओं की नींद हराम हो गई है। डोनाल्ड ट्रम्प इससे काफी चिंतित और परेशान हैं। वे अपने कृषि उत्पादों के लिए चीन के विशाल बाजार को गंवाना नहीं चाहते इसलिए चाइनीज उत्पादों पर ऊंचा टैक्स लगाने से अभी परहेज कर रहे हैं।