डीडीजीएस की वजह से सोयामील की घरेलू खपत प्रभावित होने की संभावना

18-Jun-2025 01:37 PM

इंदौर। भारत में 2024-25 सीजन के साथ-साथ 2025-26 के मार्केटिंग सीजन में भी सोयामील की घरेलू मांग एवं खपत घटने की संभावना व्यक्त की गई है क्योंकि पशु आहार एवं पोल्ट्री फीड निर्माण में डिस्टीलर्स ड्राईड ग्रेन्स विद सोल्यूबल्स (डीडीजीएस) का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके फलस्वरूप निर्यात उद्देश्य के लिए भारत में सोयामील का स्टॉक बढ़ने की उम्मीद है।

अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) की रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण का 20 प्रतिशत लक्ष्य अब वर्ष 2030 के बजाए 2025 तक के लिए निर्धारित कर दिया है जिससे अनाज आधारित और खासकर मक्का से निर्मित एथनॉल की उपलब्धता बढ़ सकती है। गन्ना से एथनॉल का उत्पादन पूर्ववत जारी है। 

मक्का का उपयोग एथनॉल निर्माण में लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे डीडीजीएस की उपलब्धता में भी वृद्धि हो रही है। इससे फीड निर्माता इसका उपयोग बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहे हैं क्योंकि यह सोयामील से काफी सस्ता होता है।

डीडीजीएस का भाव मार्च में 225 डॉलर प्रति टन या जबकि सोयामील का दाम 416 डॉलर प्रति टन के ऊंचे स्तर पर दर्ज किया गया था। इसके फलस्वरूप घरेलू प्रभाव में सिर्फ चालू सीजन में ही नहीं बल्कि अगले मार्केटिंग सीजन में भी सोयाबीन की मांग एवं खपत प्रभावित होने की संभावना है।

डीडीजीएस की उपलब्धता लगभग संतृप्त स्तर पर पहुंच गई है। उस्डा के अनुसार भारत से 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में करीब 18 लाख टन सोयामील का निर्यात होने की उम्मीद है जो 2025-26 के सीजन में घटकर 14 लाख टन पर सिमट सकता है। 

चालू मार्केटिंग सीजन में भारत से सोयामील का निर्यात मुख्यतः यूरोपीय संघ के सदस्य देशों, बांग्ला देश एवं नेपाल आदि को हो रहा है क्योंकि इसकी कीमत प्रतिस्पर्धी स्तर पर चल रही है। दक्षिण-पूर्व एशिया के देश भी इसकी खरीद में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ईरान में निर्यात प्रभावित होने की संभावना है।