भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात से बासमती चावल का भाव तेज

07-May-2025 07:57 PM

नई दिल्ली। पिछले करीब 6-7 महीनों से बासमती चावल के वैश्विक बाजार मूल्य में नरमी का माहौल बना हुआ था मगर दोनों उत्पादक एवं निर्यातक देश- भारत तथा पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात उत्पन्न होने से अब कीमतों का रुख बदल गया है पिछले एक पखवाड़े के अंदर प्रीमियम क्वालिटी वाले चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में 10 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है।

तेजी से बढ़ते तनाव को देखते हुए पश्चिम एशिया के देशों ने भारत से बासमती चावल की खरीद की गति बढ़ा दी है। उल्लेखनीय है कि वैधानिक रूप से बासमती चावल का उत्पादन मुख्यतः भारत तथा पाकिस्तान में होता है। उत्पादन एवं निर्यात की दृष्टि से भारत पाकिस्तान से काफी आगे है। 

सर्वाधिक लोकप्रिय सेला बासमती चावल- 1509 किस्म का भाव पिछले दो सप्ताहों के अंदर थोक बाजार में 5300 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 5900 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।

ध्यान देने वाली बात है कि निर्यात के साथ-साथ देश के अनेक भागों में दैनिक आधार पर होने वाले स्टीम बासमती चावल का मूल्य भी इसी अवधि में 6200-6300 रुपए प्रति क्विंटल से उछलकर 6900 रुपए प्रति क्विंटल हो गया।

थोक बाजार की भांति खुदरा बाजार में भी सेला बासमती चावल का दाम बढ़कर 7500 रुपए प्रति क्विंटल तथा बिरयानी में काम आने वाले प्रीमियम क्वालिटी के बासमती चावल का भाव उछलकर 8000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। 

उल्लेखनीय है कि बासमती चावल के दाम में गिरावट का सिलसिला सितम्बर 2024 में ही आरंभ हो गया था। उससे पूर्व भारत सरकार द्वारा बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किए जाने से विदेशी आयातक भारत के बजाए पाकिस्तान से बासमती चावल की खरीद को प्राथमिकता देने लगे थे। बाद में सरकार ने मेप को हटा दिया।

एक अग्रणी निर्यातक के अनुसार पिछले 15 दिनों के अंदर बासमती चावल के दाम में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। विदेशी आयातकों को आशंका है  कि दोनों निर्यातक देशों के बीच युद्ध शुरू होने पर बासमती चावल का निर्यात अटक सकता है

और कीमतों में भारी तेजी आ सकती है इसलिए वे जल्दी-जल्दी इसकी खरीद कर रहे हैं। सऊदी अरब, ईरान और कतर जैसे देश भारी मात्रा में भारतीय बासमती की खरीद कर रहे हैं। अमरीकी आयातक भी सक्रिय हो गए हैं।