ऑस्ट्रेलियाई दलहन निर्यातकों के लिए बढ़ सकती है चुनौतियां
08-May-2025 07:47 PM

मेलबोर्न। आगामी महीनों के दौरान ऑस्ट्रेलिया के दलहन निर्यातकों को वैश्विक बाजार में कुछ कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि प्रमुख आयात देशों में विभिन्न कारणों से इसकी मांग प्रभावित हो सकती है
और इसके शिपमेंट खर्च में इजाफा हो सकता है। भारत सरकार ने देसी चना के आयात पर 11 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया है जबकि सामान्य उत्पादन के साथ इसका घरेलू बाजार मूल्य भी कुछ नरम पड़ा है।
एक अन्य प्रमुख चना आयातक देश- पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा का भंडार घटकर काफी नीचे आ गया है और डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया बहुत कमजोर हो गया है जिससे वहां चना का आयात प्रभावित होने की आशंका है।
बांग्ला देश में ऑस्ट्रेलिया से चना और मसूर का अच्छा आयात किया जाता है मगर उसकी आर्थिक स्थिति भी डावांडोल हो रही है। इसी तरह श्रीलंका तथा नेपाल जैसे देशों को ऑस्ट्रेलिया से दलहन मंगाने में कठिनाई हो सकती है।
भारत ऑस्ट्रेलियाई चना एवं मसूर का सबसे प्रमुख आयातक देश बन गया था। मई 2024 में भारत सरकार ने देसी चना के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया था जिससे देश में इसका आयात तेजी से उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया मार्च 2025 में चना पर 11 प्रतिशत का शुल्क लगाने का निर्णय लिया गया।
यद्यपि यह शुल्क ज्यादा ऊंचा नहीं है मगर घरेलू प्रभाग में स्वदेशी चना की आपूर्ति एवं उपलब्धता में सुधार आने तथा भाव कुछ नरम पड़ने से इसके आयात की गति धीमी पड़ती जा रही है।
ऑस्ट्रेलिया से देसी चना, मसूर एवं फाबा बीन्स के अलावा ल्यूपिन, मटर तथा मूंग जैसे दलहनों का भी निर्यात होता है मगर इसकी मात्रा कम होती है। भारत में मूंग के आयात पर वर्ष 2022 से ही प्रतिबंध लगा हुआ है।
ऑस्ट्रेलिया से फाबा बीन्स का अधिकांश निर्यात मिस्र सहित कुछ अन्य अफ्रीकी देशों और पश्चिम एशिया को किया जाता है। यदि चीन में कनाडाई मटर पर 100 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू रहता है तो ऑस्ट्रेलियाई उत्पादकों एवं निर्यातकों को वहां अपनी मटर का निर्यात बढ़ाने का अवसर मिल सकता है।
दक्षिण एशिया में शिपमेंट के लिए ऑस्ट्रेलियाई बंदरगाहों पर अक्सर जहाज की कमी हो जाती है क्योंकि माल की अनलोडिंग के बाद उसे खाली वापस लौटना पड़ता है। इससे शिपमेंट खर्च में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद रहती है। ऑस्ट्रेलिया में दलहनों की बिजाई आरंभ हो गई है।