देश के एक-तिहाई हिस्से में अलग-अलग स्तर का सूखा बरकरार

12-Sep-2023 07:26 AM

नई दिल्ली । चालू माह के प्रथम सप्ताह तक देश का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा अलग-अलग स्तर का सूखा झेल रहा था जिससे वहां खरीफ फसलों को भारी नुकसान होते देख किसानों की चिंता बढ़ गई और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के प्रति भी आशंका पैदा हो गई।

सूखा अग्रिम चेतावनी प्रणाली के आंकड़ों से पता चलता है कि देश के कम से कम 11.5 प्रतिशत भाग में अत्यन्त गंभीर, भयंकर एवं जबरदस्त सूखे का माहौल बना हुआ है जबकि 18.9 प्रतिशत क्षेत्र में सामान्य से लेकर असाधारण सूखा देखा जा रहा है।

निश्चित रूप से यह आंकड़ा सरकार के लिए सरदर्द पैदा करने वाला है जो पहले से ही अत्यन्त ऊंचे स्तर की खाद्य महंगाई दर से काफी चिंतित और परेशान है।

उल्लेखनीय है कि सूखा अग्रिम चेतावनी प्रणाली (ड्यूस) भारत का पहला रियल टाइम सूखा निगरानी प्लेटफार्म है जिसका संचालन आई आई टी गांधीनगर की जल एवं जलवायु प्रयोगशाला द्वारा किया जाता है।

अगस्त 2023 का महीना वर्ष 1901 के बाद सबसे ज्यादा गर्म एवं सूखा रहा। देश में अभी अल नीनो मौसम चक्र का प्रकोप एवं प्रभाव देखा जा रहा है। अगस्त में सामान्य औसत की तुलना में करीब 36 प्रतिशत कम बारिश हुई।

हालांकि सितम्बर में हुई वर्षा से यह कमी घटकर 11 प्रतिशत के आसपास रह गई लेकिन सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में वर्षा का भारी अभाव बना हुआ है। इससे किसानों की कठिनाई काफी बढ़ गई है।

जून-जुलाई में मानसूनी बारिश में देर होने के कारण खरीफ फसलों की बिजाई काफी पिछड़ रही थी जो बाद में संभल गई। अब सूखा एवं अनावृष्टि से फसल को हो रहे भारी नुकसान ने किसानों को हताश-निराश कर दिया है। बढ़ती गर्मी भी संकट का एक कारण है। 

अनेक राज्यों के कई जिलों में स्पष्टीकरण की गति तेज होने से खेतों की मिटटी पूरी तरह सूख गई है और उसमें दरारें पड़ने लगी हैं। इसमें सर्वाधिक जिले छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार एवं कर्नाटक में स्थित है। जिन जिलों में नमी का भारी अभाव देखा जा रहा है उसमें सतारा, रायगढ़,

मासिक एवं कोल्हापुर (महाराष्ट्र), पश्चिमी निमाड़ (मध्य प्रदेश), बालनशीर (उड़ीसा) कोरबा, रायगढ़ (छत्तीसगढ़), उडुपी, चिकमगलूर (कर्नाटक) तथा एर्नाकुलम एवं त्रिपुर (केरल) आदि शामिल हैं। बिहार के कुछ जिलों में भी सूखे का गंभीर संकट बरकरार है।