दस वर्षों में खाद्य तेलों के आयात खर्च में दोगुने से ज्यादा का इजाफ़ा
20-Nov-2023 04:25 PM
नई दिल्ली । कम उत्पादन एवं बढ़ते उपयोग के कारण देश में खाद्य तेलों की मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है जिसे पाटने के लिए विदेशों से इसका आयात बढ़ाने की आवश्यकता पड़ रही है।
पिछले एक दशक के दौरान जहां खाद्य तेल की आयात मात्रा में करीब 50 लाख टन की वृद्धि हुई वहीं दूसरी ओर इसका आयात खर्च दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गया।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 के मार्केटिंग सीजन के दौरान भारत में 116 लाख टन खाद्य तेल का आयात हुआ था जो 2022-23 के सीजन में बढ़कर 165 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया।
पिछले दो तीन वर्षों तक एक निश्चित सीमा में स्थिर रहने के बाद खाद्य तेलों का आयात 2022-23 के सीजन में अचानक तेजी से बढ़ गया। इस तरह इन 10 वर्षों के दौरान खाद्य तेलों के आयात की मात्रा में डेढ़ गुना तथा उस पर खर्च होने वाली राशि में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हो गया।
भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयात देश बना हुआ है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा संकलित आंकड़ों से एक दिलचस्प तस्वीर उभर कर सामने आई है।
इसके तहत 2021-22 सीजन के दौरान देश में करीब 140 लाख टन खाद्य तेल बाहर से मंगाया गया था जिस पर 19.6 अरब डॉलर या 1,56,800 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसके मुकाबले 2022-23 के सीजन में खाद्य तेलों के आयात की मात्रा तो करीब 25 लाख टन बढ़कर 165 लाख टन पर पहुंची मगर इस पर खर्च होने वाली राशि घटकर 16.7 अरब डॉलर या 1,38,424 करोड़ रुपए रह गई।
इसका प्रमुख कारण यह है कि 2021-22 सीजन के दौरान खाद्य तेलों का वैश्विक बाजार भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था मगर 2022-23 सीजन के दौरान यह घटकर सामान्य स्तर पर आ गया।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004-05 से 2013-14 तक वाले दशक के दौरान भी देश में खाद्य तेलों का आयात 50 लाख टन से उछलकर 116 लाख टन पर पहुंचा था।
तेजी से बढ़ते आयात के कारण भारतीय किसानों को तिलहन फसलों का उत्पादन जोरदार ढंग से बढ़ाने का समुचित प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। 2022-23 सीजन के दौरान भारत में सभी स्वदेशी स्रोतों से करीब 103 लाख टन खाद्य तेल का उत्पादन हुआ। जबकि विदेशों से 165 लाख टन का आयात किया गया।
इस तरह कुल उपलब्धता 268 लाख टन पर पहुंची। इस तरह कुल उपलब्धता में स्वदेशी खाद्य तेल की भागीदारी 38.6 प्रतिशत एवं विदेशी तेल की हिस्सेदारी 61.4 प्रतिशत दर्ज की गई।