दाल-दलहनों की आपूर्ति बढ़ाने हेतु जल्दी ही और कदम उठाएगी सरकार

11-Sep-2023 07:19 AM

नई दिल्ली । केन्द्र सरकार का इरादा विभिन्न उपायों द्वारा दाल-दलहनों की कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का है जिसमें कुछ खास किस्मों पर आयात शुल्क को समाप्त करना, भंडारण सीमा आदेश लागू करना तथा केन्द्रीय पूल में उपलब्ध अधिशेष स्टॉक को खुले बाजार में बेचना आदि शामिल हैं।

मालूम हो कि 31 मार्च 2024 तक मसूर, उड़द एवं तुवर के आयात को पूरी तरह शुल्क मुक्त पहले ही किया जा चुका है। अब काबुली चना पर 40 प्रतिशत, मटर पर 50 प्रतिशत तथा देसी चना पर 60 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है।

केन्द्रीय उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह के अनुसार सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि स्वदेसी स्रोतों एवं विदेशों से आयात के साथ आगामी त्यौहारी महीनों के दौरान दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बनी रहे ताकि कीमतों में तेजी की संभावना पर ब्रेक लग सके।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2023 में दाल-दलहनों में महंगाई की दर 13.27 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर रही थी। इसके तहत अरहर (तुवर) का भाव 34.05 प्रतिशत, मूंग का 9.07 प्रतिशत एवं उड़द का 7.85 प्रतिशत बढ़ गया।

जून में महंगाई दर 10.53 प्रतिशत दर्ज की गई थी। चूंकि अगस्त में चना एवं मसूर के दाम में भी बढ़ोत्तरी हुई इसलिए दाल-दलहनों में कुल महंगाई दर ऊंचे स्तर पर ही बरकरार रहने का अनुमान है।

सरकार ने मसूर के व्यापारियों-आयातकों को अनिवार्य रूप से अपने स्टॉक विवरण का खुलासा करने एक निर्देश दिया है और खुलासे की मात्रा से अधिक स्टॉक पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।

सचिव महोदय के अनुसार कनाडा में मसूर एवं अफ्रीकी देशों में तुवर के नए माल की आवक शुरू हो चुकी है और भारत में इसका आयात बढ़ रहा है लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग बाजार को घूमाने का प्रयास कर रहे हैं।

आयात संवर्धन एवं स्टॉक सीमा आरोपण के माध्यम से दाल-दलहनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। ज्ञात हो कि भारत में मसूर का आयात मुख्यत: कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से होता है जबकि तुवर का आयात म्यांमार एवं अफ्रीकी देशों से किया जाता है। इन दोनों दलहनों का घरेलू उत्पादन मांग एवं जरूरत से कम होता है।

सरकार दीर्घकालीन आयात करार पर भी नजर रख रही है। अब तक दाल-दलहन की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए वह अनेक प्रयास कर चुकी है लेकिन इसमें उसे कोई खास सफलता हासिल नहीं हो सकी है।