प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में तुवर एवं इसकी दाल का भाव बेहद कमजोर

24-Jun-2025 01:57 PM

कलबुर्गी। तुवर एवं पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात का सिलसिला जारी रहने तथा घरेलू मांग कमजोर पड़ने से कर्नाटक के कलबुर्गी तथा महाराष्ट्र के लातूर जैसे प्रमुख उत्पादक एवं व्यापारिक केन्द्रों में तुवर दाल का दाम घटकर 100 रुपए प्रति किलो से नीचे आ गया है जो पिछले करीब तीन वर्षों का न्यूनतम स्तर है।

दाम घटने से आम उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल रही है लेकिन तुवर की खेती में किसानों का उत्साह कम होने लगा है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार विदेशों से तुवर एवं पीली मटर के सस्ते आयात से तुवर दाल की कीमतों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। निकट भविष्य में कीमतों में जोरदार तेजी आना मुश्किल लगता है।

लातूर के एक अग्रणी प्रोसेसर्स एवं व्यापारी का कहना है कि सामान्य औसत क्वालिटी की तुवर दाल का भाव घटकर 89-90 रुपए प्रति किलो एवं सर्वोत्तम क्वालिटी के माल का दाम गिरकर 104-105 रुपए प्रति किलो रह गया है।

मौजूद मूल्य गत वर्ष की समान अवधि में प्रचलित मूल्य से करीब 50 प्रतिशत  कम है। इतना ही नहीं बल्कि तुवर दाल की वर्तमान कीमत वर्ष 2022 के बाद सबसे नीचे भी है। 

वर्ष 2023 एवं 2024 में तुवर दाल का दाम उछलकर शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था क्योंकि घरेलू, मांग एवं खपत की तुलना में उत्पादन कम हुआ था। तब सरकार ने विदेशों से तुवर सहित अन्य दलहनों के आयात को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया।

तुवर, उड़द एवं पीली मटर के आयात को एक बार फिर 31 मार्च 2026 तक के लिए शुल्क मुक्त कर दिया गया है और देसी चना तथा मसूर पर भी केवल 10 प्रतिशत का मामूली आयात शुल्क लगाया गया है।

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत में तुवर का आयात उछलकर 12.23 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जो 2023-24 के आयात 7.71 लाख टन से 59 प्रतिशत ज्यादा है।

बाजार की धारणा कमजोर बनी हुई है। आगे जब इसमें त्यौहारी मांग निकलेगी तब कीमतों में कुछ सुधार आ सकता है। फिलहाल तुवर दाल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम है।

विदेशी आयात की अधिकता से घरेलू बाजार भाव प्रभावित हुआ है। देश में तुवर की बिजाई आरंभ हो चुकी है और इसलिए किसान धीरे-धीरे अपने स्टॉक को मंडियों में उतारने लगे है। दिसम्बर-जनवरी में तुवर की नई फसल आएगी।