पीएम- आशा स्कीम से उम्मीदें

29-Mar-2025 11:29 AM

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से दलहनों एवं तिलहनों की खरीद को बरकरार रखने के लिए सरकार ने पीएम - आशा स्कीम की अवधि 2025-26 सीजन तक के लिए बढ़ाने की घोषणा की है।

यह खरीद प्रत्येक वर्ष खरीफ और रबी सीजन में होती है और पिछले कुछ वर्षों से इस स्कीम की समय सीमा भी नियमित रूप से बढ़ाई जा रही है ताकि दलहन-तिलहन उत्पादकों को एमएसपी का लाभ मिल सके और बफर स्टॉक के लिए इन जिंसों की समुचित खरीद भी सुनिश्चित हो सके।

किसानों के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी सरल एवं पारदर्शी बनाया गया है। केन्द्र सरकार की अधिकृत दो नोडल एजेंसी- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) तथा राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) को इस खरीद का दायित्व सौंपा गया है।

दरअसल घरेलू प्रभाग में दलहन-तिलहन का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ गया है जिसमें अरहर (तुवर), चना एवं मसूर तथा सोयाबीन, मूंगफली एवं सरसों आदि शामिल हैं।

खरीफ कालीन तिलहन फसलों की सरकारी खरीद बंद हो चुकी है और अब रबी कालीन फसलों की खरीद आरंभ हो गई है। जहां तक दलहनों का सवाल है तो खरीफ कालीन उड़द तथा मूंग की खरीद का अभियान समाप्त हो गया है मगर तुवर की खरीद अभी जारी है।

चालू सीजन में करीब 2.50 लाख टन तुवर की सरकारी खरीद हो चुकी है और लगभग सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों से इसकी खरीद बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

खरीफ सीजन के सबसे प्रमुख दलहन-अरहर (तुवर) का थोक मंडी भाव पिछले दो साल से एमएसपी से ऊंचा रहने के कारण सरकार को बफर स्टॉक के लिए इसकी खरीद करने में ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी।

लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है और इसलिए तुवर की सरकारी खरीद  में अच्छी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। खरीद की प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। 

केन्द्र सरकार पहले ही मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत तुवर, उड़द एवं मसूर की 100 प्रतिशत विपणन योग्य मात्रा की खरीद करने की घोषणा कर चुकी है।

बफर स्टॉक में दलहनों की मात्रा बहुत कम होने से चालू रबी सीजन में 28 लाख टन चना तथा 9.40 लाख टन मसूर की खरीद की अनुमति प्रदान की गई है।

राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि किसी भी किसान को एमएसपी से नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश न होना पड़े।

चना तथा मसूर के साथ सरसों की खरीद भी आरंभ कर दी गई है क्योंकि इसका मंडी भाव घटकर एमएसपी से नीचे आ गया है।

उम्मीद की जा रही है कि पीएम-आशा स्कीम दलहन-तिलहन उत्पादकों को निराश के दलदल से बाहर निकालने में सफल रहेगी।