मार्च के बाद अप्रैल में भी पाम तेल का आयात सुधरने के आसार
02-May-2025 06:08 PM

मुम्बई। अन्य प्रतिद्वन्द्वी खाद्य तेलों के सापेक्ष पाम तेल का निर्यात ऑफर मूल्य आपूर्तिकर्ता देशों में गिरकर आकर्षक स्तर पर आने लगा है जिससे भारत में इसका आयात बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
जनवरी-फरवरी 2025 में पाम तेल का आयात काफी कम हुआ था जिससे देश में इसके स्टॉक में गिरावट आ गई थी। इससे पूर्व नवम्बर-दिसम्बर 2024 में भी पाम तेल का आयात सामान्य औसत मासिक स्तर से काफी पीछे रह गया था।
हालांकि फरवरी की तुलना में मार्च के दौरान भारत में पाम तेल का आयात 137 प्रतिशत बढ़कर 4.25 लाख टन के करीब पहुंचा मगर फिर भी यह औसत स्तर से काफी कम रहा।
2023-24 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान भारत में प्रति माह औसतन 7.50 लाख टन पाम तेल का आयात हुआ था जबकि 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के शुरूआती पांच महीनों में यानी नवम्बर 2024 से मार्च 2025 के दौरान यह मासिक औसत आयात 5 लाख टन से ुएपर नहीं बढ़ सका।
इसका कारण यह था कि इस अवधि में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का आयात खर्च क्रूड डिगम्ड सोयाबीन तेल से करीब 70-100 डॉलर प्रति टन ऊंचा चल रहा था। इससे भारतीय रिफाइनर्स को सीपीओ के आयात पर बहुत कम मार्जिन प्राप्त हो रहा था।
इस अवधि में रिफाइनर्स ने पाम तक बजाए सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल जैसे सॉफ्ट खाद्य तेलों के आयात को प्राथमिकता देने का प्रयास किया क्योंकि इसका वैश्विक बाजार भाव कुछ हद तक आकर्षक बना हुआ था।
पाम तेल का निर्यात प्रदर्शन कमजोर पड़ने, आपूर्तिकर्ता देशों में बकाया अधिशेष स्टॉकबढ़ने तथा उत्पादन का पीक सीजन जारी रहने से मलेशिया तथा इंडोनेशिया के निर्यातकों को निर्यात ऑफर मूल्य घटाने के लिए विवश होना पड़ा।
इसके फलस्वरूप भारत में सीपीओ का आयात खर्च अब सोयाबीन तेल की तुलन में करीब 50 डॉलर प्रति टन नीचे आ गया है। इससे भारतीय रिफाइनर्स के मार्जिन में सुधार आने लगा है और पाम तेल की खरीद में उसकी दिलचस्पी एवं सक्रियता बढ़ गई है। मलेशिया के बीएमडी एक्सचेंज में पाम तेल के वायदा मूल्य पर दबाव बरकरार है।
अमरीका से चीन को सोयाबीन का निर्यात लगभग ठप्प पड़ने से शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबोट) में सोयाबीन, सोया तेल एवं सोयामील का वायदा भाव नरम पड़ गया है इसलिए पाम तेल की कीमतों पर आगे भी दबाव बरकरार रहने की संभावना है।