मोजाम्बिक के बंदरगाह पर तुवर का शिपमेंट अटकने से भारत में भाव तेज होने की आशंका

21-Nov-2023 01:06 PM

मुम्बई । अफ्रीकी देश मोजाम्बिक के बंदरगाह पर कम से कम 1.50 लाख टन तुवर का ऐसा स्टॉक पड़ा हुआ है जिसे भारत को भेजा जाना है लेकिन कस्टम विभाग इसके शिपमेंट की अनुमति देने में टाल मटोल कर रहा है।

पिछले कुछ सप्ताहों से निर्यातकों द्वारा बार-बार इसके लिए आग्रह किया जा रहा है और भारत सरकार की ओर से भी इसके लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कहा गया है लेकिन मोजाम्बिक सरकार काफी हद तक इस मामले में उदासीन बनी हुई है।

उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में तुवर का सबसे बड़ा उत्पादक एवं उपभोक्ता देश है लेकिन घरेलू मांग एवं खपत के मुकाबले उत्पादन कम होने से विदेशों से इसका भारी आयात करता है।

आमतौर पर वर्ष की चौथी तिमाही में घरेलू प्रभाग में तुवर की आपूर्ति का ऑफ सीजन होने से विदेशी माल के आयात पर निर्भरता बढ़ जाती है जबकि उसके बाद नई घरेलू फसल की आवक होने लगती है। भारत में तुवर का करीब आधा आयात मोजाम्बिक से तथा शेष भाग का आयात म्यांमार, मलावी एवं सूडान आदि से होता है। 

मोजाम्बिक से आयात में देर होने के कारण घरेलू प्रभाग में तुवर का भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मोजाम्बिक के बंदरगाह पर स्थित वेयरहाउस में तुवर का स्टॉक रखा हुआ है जिससे निर्यातकों को भंडारण खर्च के रूप में भारी रकम अदा  करनी पड़ रही है और बार-बार इसका धुआंकरण भी करवाना पड़ता है।

निर्यात शिपमेंट के लिए कानून (नियम) के अनुरूप सभी आवश्यक दस्तावेज होने के बावजूद लगभग 200 कंटेनरों में तुवर के स्टॉक को शिपमेंट की अनुमति नहीं मिल रही है।

हैरत की बात यह है कि मोजाम्बिक कस्टम विभाग शिपमेंट की मंजूरी नहीं देने का कोई ठोस कारण भी नहीं बता रहा है। इधर शिपमेंट अटकने से भारत में पिछले दो माह के दौरान तुवर का भाव करीब 10 प्रतिशत बढ़ गया। ऑफ या लीन सीजन होने के कारण मंडियों में तुवर की आपूर्ति काफी घट गई है।

 समझा जाता है कि कुछ निर्यातकों को निर्यात परमिट हासिल हो गया है जिससे वे भारत को करीब 50 हजार टन तुवर शिपमेंट शुरू कर सकते हैं।

अक्टूबर में मोजाम्बिक के कृषि मंत्रालय ने कहा था कि उसने कस्टम प्रक्रिया में वस्तुओं के लिए 22 सितम्बर से सभी फ़ायटो सैनिटरी सर्टिफिकेट को कैंसिल कर दिया था क्योंकि उसमें से करीब 400 सर्टिफिकेट को नकली या जाली पाया गया था। लेकिन उसके बाद से लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पुनः आरंभ कर दी गई है।