ईरान में भारतीय बासमती चावल के निर्यात में भारी गिरावट आने की आशंका
19-Jun-2025 01:43 PM

नई दिल्ली। कुछ वर्ष पूर्व भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया था मगर अब फिलहाल तीसरे नम्बर पर आ गया है। इजरायल के साथ भयंकर युद्ध में फंसे ईरान में भारत से बासमती चावल के आयात में भारी गिरावट आने की आशंका है।
भारतीय बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य पहले ही 10 प्रतिशत से ज्यादा घट चुका है। यदि ईरान में निर्यात ठप्प पड़ गया तो ऑफर मूल्य में और करीब 20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
इजरायल के ताबड़ तोड़ हमलों और ईरान की भयंकर जवाबी कार्रवाई के बीच होर्मुज जलडमरू मध्य के बंद होने की आशंका बढ़ गई है जबकि यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से और फिर अरब सागर से जोड़ता है।
इस मार्ग के बंद हो जाने पर भारत सहित दक्षिण-पश्चिम एशिया के अन्य देशों को कैप ऑफ गुड होप के रास्ते अपने उत्पादों का शिपमेंट करना पड़ेगा। यह रास्ता काफी लम्बा है और इसलिए इसका उपयोग करने पर शिपमेंट खर्च बढ़ेगा और समय भी ज्यादा लगेगा। इन घटनाक्रमों के बीच घरेलू बाजार में 17 जून को बासमती चावल का भाव 300 रुपए प्रति क्विंटल घट गया।
नवी मुम्बई के वाशी मार्केट में बासमती सेला चावल का दाम 6400/6500 रुपए प्रति क्विंटल से गिरकर 6000/6100 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया।
इसी तरह 1121 बासमती चावल का मूल्य 8000 रुपए प्रति क्विंटल से फिसलकर 7800 रुपए प्रति क्विंटल तथा 1009 बासमती चावल का भाव 300 रुपए घटकर 6800/6900 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
दिल्ली के एक अग्रणी निर्यातक का कहना है कि भारतीय बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य पिछले माह के 1050/1100 डॉलर प्रति टन से घटकर अब 900/950 डॉलर प्रति टन रह गया है जबकि आगामी समय के दौरान इसमें 10/20 प्रतिशत की और गिरावट आ सकती है। ईरान पर भारतीय निर्यातकों का ध्यान केन्द्रित है।
भारत से ईरान को वित्त वर्ष 2018-19 में बासमती चावल का कुल निर्यात बढ़कर 14.84 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था जो 2019-20 में गिरकर 13.19 लाख टन तथा 2020-21 में घटकर 7.48 लाख टन पर सिमट गया।
इसके बाद वित्त वर्ष 2021-22 में 9.98 लाख टन तथा 2022-23 में 9.99 लाख टन बासमती चावल का निर्यात ईरान को किया गया मगर 2023-24 में यह घटकर 6.71 लाख टन पर अटक गया। 2024-25 में निर्यात कुछ बढ़कर 8.55 लाख टन पर पहुंचा।
भारत से बासमती चावल का कुल निर्यात 2023-24 के 52.42 लाख टन से उछलकर 2024-25 में 60.65 लाख टन से भी ऊपर पहुंच गया।