ग्रीष्मकालीन वर्षा से केरल में इलायची की फसल को भारी फायदा
14-Apr-2025 04:57 PM

इडुक्की। देश के सुदूर दक्षिणी प्रान्त- केरल में इलायची के प्रमुख उत्पादक इलाकों में अच्छी वर्षा होने से फसल को काफी फायदा हो रहा है और इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा रही है।
ग्रीष्मकालीन वर्षा को छोटी इलायची की फसल के लिए वरदान माना जाता है। कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी बारिश होने के बाद अब उत्पादक इलायची के बागानों में उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
केरल इलायची का प्रमुख उत्पादक राज्य है और वहां इडुक्की जिला इसके उत्पादन में सबसे आगे रहता है। इडुक्की सहित आसपास के जिलों में इस बार ग्रीष्मकालीन या मानसून-पूर्व की अच्छी बारिश होने से फसल के विकास की रफ्तार तेज हो गई है।
जुलाई के दूसरे सप्ताह से इलायची के नए माल की तुड़ाई-तैयारी आरंभ होने की उम्मीद है। पिछले साल खराब मौसम के कारण इसमें देर हो गई थी। केरल में इडुक्की जिले के वंदनमेडु, कट्टापन्ना, नेदुमकंदम, अनाविलासोम, पाथुमुरी, कुमिली, राजाक्कदम तथा संथनपारा आदि महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों में मानसून-पूर्व की अच्छी बारिश हुई है।
पिछले साल इन इलाकों में ग्रीष्मकालीन वर्षा का अभाव रहा था जिससे इलायची की फसल का ठीक से विकास नहीं हो पाया और उत्पादन में भारी कमी आ गई। उसके विपरीत चालू वर्ष के दौरान अभी तक मौसम एवं वर्षा की हालत फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है जिससे छोटी इलायची के उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
कुमिली क्षेत्र में तो ग्रीष्मकालीन वर्षा का चार दौर पूरा हो चुका है जबकि आगे और बारिश होने की संभावना है। पिछले साल इलायची उत्पादकों का अनुभव बहुत कड़वा रहा था।
कार्डामम प्लांटर्स फेडरेशन के चेयरमैन का कहना है कि इलायची के जो नए बागान लगाए गए हैं उसमें लताए पूरी तरह परिपक्व नहीं हुई हैं
और उसमें चालू वर्ष के दौरान उत्पादन आरंभ नहीं हो पाएगा लेकिन पुराने बागानों में फसल की स्थिति को देखते हुए लगता है कि इलायची का कुल उत्पादन इस वर्ष काफी बेहतर हो सकता है।
छोटी इलायची की औसत उपज दर आमतौर पर 350-400 किलो प्रति एकड़ के बीच रहती है जबकि पिछले साल प्रतिकूल मौसम के कारण यह कई क्षेत्रों में घटकर महज 50 से 100 किलो प्रति एकड़ के बीच सिमट गई थी। मसाला बोर्ड ने भी इस बार इलायची के बेहतर उत्पादन की उम्मीद जाहिर की है।