गन्ना के एफआरपी में हुई वृद्धि के अनुरूप चीनी का एमएसपी बढ़ाने का आग्रह
02-May-2025 08:07 PM

नई दिल्ली। स्वदेशी चीनी उद्योग ने गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 4 प्रतिशत का इजाफा करने के सरकारी निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इसके अनुपात में चीनी के एक्स फैक्ट्री न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में भी बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने 10.25 प्रतिशत चीनी की रिकवरी दर के आधार पर गन्ना का एफआरपी 2024-25 सीजन के 340 रुपए प्रति क्विंटल से 15 रुपए बढ़ाकर 2025-26 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए 355 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है। इससे चीनी के लागत खर्च में स्वाभाविक रूप से वृद्धि हो जाएगी।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार चीनी के उत्पादन खर्च एवं न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) के बीच अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। चीनी का एमएसपी पिछले पांच-छह साल से स्थिर है जबकि गन्ना के एफआरपी में प्रति वर्ष इजाफा हो रहा है।
वर्ष 2019 में अंतिम बार चीनी के एमएसपी में बढ़ोत्तरी की गई थी। लागत खर्च एवं एमएसपी में भारी अंतर के कारण चीनी उद्योग की चुनौतियां एवं समस्याएं बढ़ गई हैं जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इस अंतर को पाटने के लिए स्वदेशी उद्योग सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2019 में अंतिम बार चीनी का एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य 2900 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए बढ़ाकर 3100 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था और उसके बाद से इसमें कोई वृद्धि नहीं की गई है।
दूसरी ओर गन्ना के एफआरपी में प्रत्येक वर्ष 10 से 20 रुपए प्रति क्विंटल के बीच इजाफा होता रहा है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच प्रांतों में गन्ना का राज्य समर्थित मूल्य (सैप) का भी निर्धारण होता है जो केन्द्र द्वारा घोषित गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) से ऊंचा रहता है।
गन्ना के एफआरपी में हुई इस बढ़ोत्तरी से देश के लगभग 5.50 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष रूप से कुल मिलाकर 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होने की उम्मीद है। आगामी मार्केटिंग सीजन में गन्ना उत्पादकों को लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपए का कुल भुगतान प्राप्त हो सकता है।