एथनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ने से किसानों को होगा फायदा
24-Jun-2025 08:38 PM

मुम्बई। भारत में ऊर्जा क्रांति का श्रीगणेश हो चुका है और अब यह धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगा है। देश में एथनॉल उत्पादन के नए-नए प्लांट अस्तित्व में आ रहे हैं जबकि पुरानी डिस्टीलरीज का भी विकास-विस्तार किया जा रहा है।
इससे एथनॉल के उत्पादन की क्षमता में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है। एथनॉल का निर्माण गन्ना तथा अनाज (मुख्यतः मक्का एवं चावल) से होता है। एथनॉल उत्पादन की क्षमता जितनी बढ़ेगी उतना ही उसमें कच्चे माल का उपयोग भी बढ़ेगा।
इससे किसानों को ऊंचा दाम प्राप्त होगा और गन्ना तथा मक्का का उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा। इस तरह एथनॉल का उत्पादन बढ़ने से एक तरफ देश को विदेशों से क्रूड खनिज तेल (पेट्रोलियम) के आयात पर निर्भरता घटाने का मौका मिलेगा तो दूसरी ओर किसानों की समृद्धि बढ़ेगी।
वर्ष 2013 में भारत में एथनॉल की वार्षिक उत्पादन क्षमता केवल 421 करोड़ लीटर थी जो वर्तमान समय में चार गुणा से भी ज्यादा बढ़कर 1810 करोड़ लीटर पर पहुंच गई है।
सरकार की मजबूत प्रोत्साहन नीति और देश में साफ-सुथरे हरित ईंधन की खपत बढ़ाने की योजना के कारण एथनॉल के उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है।
पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल हो चुका है जबकि आगे इस लक्ष्य को और बढ़ाए जाने की उम्मीद है। वर्तमान समय में 1810 करोड़ लीटर एथनॉल के कुल उत्पादन की क्षमता में शीरा से निर्मित एथनॉल की मात्रा 816 करोड़ लीटर तथा अनाज से उत्पादित की मात्रा 858 करोड़ लीटर की है जबकि शेष 136 करोड़ लीटर की उत्पादन क्षमता दोहरे फीड प्लांटों की है।
यदि इस सम्पूर्ण उत्पादन क्षमता का उपयोग संभव हो जाए तो मक्का, चावल एवं शीरा की खपत में भारी बढ़ोत्तरी हो जाएगी। लेकिन एक खतरा यह है कि अमरीका अपने मक्का का निर्यात बढ़ाने का इच्छुक है
और इसके आयात की अनुमति देने के लिए भारत सरकार पर दबाव डाल रहा है। उसका मक्का सस्ता लेकिन जीएम श्रेणी का होता है इसलिए भारत सरकार दुविधा में फंसी हुई है।