भारत से चावल के निर्यात पर प्रतिबंध आगामी महीनों में भी जारी रहने की संभावना

20-Nov-2023 01:28 PM

नई दिल्ली । भारत सरकार द्वारा सितम्बर 2022 में टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) तथा जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध अगले कुछ महीनों तक बरकरार रहने की संभावना है जिससे वैश्विक बाजार में चावल का भाव ऊंचा एवं तेज रह सकता है।

मालूम हो कि भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है जो इसकी 40-42 प्रतिशत वैश्विक मांग एवं जरूरत को अकेले पूरा करता है इसलिए यहां से सफेद चावल का निर्यात बंद होने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता स्वाभाविक रूप से घट रही है। 

दरअसल चालू वर्ष के दौरान मानसून की संतोषजनक बारिश नहीं होने से खरीफ सीजन में धान-चावल का घरेलू उत्पादन काफी घटने की संभावना है।

हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने चावल का उत्पादन पिछले खरीफ सीजन के 1105 लाख टन से 42 लाख टन या 3.8 प्रतिशत घटकर इस बार 1063 लाख टन पर सिमटने का अनुमान लगाया है लेकिन उद्योग- व्यापार क्षेत्र का मानना है कि चावल का वास्तविक उत्पादन इससे काफी कम होगा। धान चावल की सरकारी खरीद भी गत वर्ष से कम हो रही है।

इससे सरकार की चिंता बढ़ने लगी है। अगले वर्ष अप्रैल-मई में लोकसभा के लिए आम चुनाव होना है और सरकार चावल की कीमतों में तेजी नहीं देखना चाहेगी। इसकी पहली प्राथमिकता घरेलू उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर चावल की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने की है। 

अगस्त 2023 में चावल का वैश्विक बाजार भाव उछलकर पिछले 15 वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था जब भारत में भीषण गर्मी एवं अत्यन्त शुष्क मौसम से धान की फसल को हुए नुकसान की खबर फैली थी और वैश्विक बाजार को पता चल गया था कि भारत से निकट भविष्य में कच्चे चावल का निर्यात संभव नहीं हो पाएगा।

ध्यान देने की बात है कि अगस्त में ही सरकार ने सेला गैर बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू किया था और बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित किया था जिससे इसका शिपमेंट भी बुरी तरह प्रभावित होने लगा था।

अब न्यूनतम निर्यात मूल्य को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत किया गया है जिससे स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है।