भारी मानसूनी बारिश से इलायची के बागानों में कीड़ों-रोगों का खतरा बढ़ा
01-Jul-2025 03:34 PM

इडुक्की। इस वर्ष नियत समय से पहले ही दक्षिण-पश्चिम मानसून के पहुंचने तथा प्रमुख उत्पादक इलाकों में मई-जून के दौरान जोरदार बारिश होने से इलायची की फसल को रोगों कीड़ों के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है
और दाने की सेटिंग भी बेहतरीन हो गई है। फंगल रोग एवं क्लम्प रोट बीमारी के लक्षण ऊंचाई वाले इलाकों में अवस्थित इलायची के बागानों में देखे जा रहे हैं।
उत्पादकों के अनुसार मई-जून में तेज हवा के साथ बागानी क्षेत्रों में भारी वर्षा हुई जिससे आमतौर पर इलायची की फसल को फायदा हुआ मगर साथ ही साथ रोगों- कीड़ों का प्रकोप फैलने से उसे नुकसान होने की भी आशंका है।
एक अग्रणी संस्था के अनुसार जून के आरंभ में हरी (छोटी) इलायची फसल की हालत पिछले साल की भांति सामान्य और संतोषजनक दिखाई पड़ रही थी
लेकिन लगातार होने वाली बारिश से दाने के परिपक्व होने में विलम्ब हो जाएगा और इसकी तुड़ाई-तैयारी मध्य जुलाई- अगस्त में शुरू होने की संभावना है।
वर्तमान समय में इलायची का औसत नीलामी मूल्य 2650 रुपए प्रति किलो के आसपास बताया जा रहा है। ऐसा लग रहा था कि इस बार जून के अंतिम सप्ताह से नई फसल आने लगेगी।
उत्पादक क्षेत्रों एवं खपत केन्द्रों में इलायची का स्टॉक रह गया है। इलायची का पिछला उत्पादन कमजोर रहा था इसलिए दिसावरी व्यापारियों एवं डीलर्स को इसका भारी-भरकम स्टॉक बनाने में सफलता नहीं मिल सकी थी।
इलायची का निर्यात प्रदर्शन संतोषजनक रहा और पिछले त्यौहारी सीजन में इसकी घरेलू खपत भी अच्छी हुई। इसे देखते हुए लगता है कि इस बार जब नीलामी केन्द्रों में इलायची के नए माल की आवक शुरू होगी तब इसका कारोबार काफी बेहतर हो सकता है।
इडुक्की जिले में छोटी इलायची की फसल परिपक्व होने लगी है और मध्य जुलाई में इसकी तुड़ाई-तैयारी आरंभ होने की संभावना है लेकिन जोरदार आपूर्ति अगस्त में ही संभव हो पाएगी।
यदि जुलाई-अगस्त में जरूरत से ज्यादा बारिश नहीं हुई तो नए माल की नियमित आवक जारी रहेगी और कारोबार में कोई बाधा नहीं पड़ेगी।
रोगों-कीड़ों एवं तेज हवा के प्रकोप से फसल को कुछ नुकसान हुआ है जिससे इसका उत्पादन पूर्व अनुमान की तुलना में 10-15 प्रतिशत कम हो सकता है लेकिन फिर भी इलायची की कुल पैदावार 30,000 टन के आसपास होने का अनुमान लगाया जा रहा है।