अगले चार-पांच महीनों तक भारत से अच्छी मात्रा में इलायची का हो सकता है निर्यात
12-Nov-2024 08:31 PM
इडुक्की । एक अग्रणी निर्यातक का कहना है कि पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान छोटी इलायची का उत्पादन ग्वाटेमाला में 40-50 प्रतिशत तथा भारत में 35-40 प्रतिशत घटने की संभावना है। लेकिन ग्वाटेमाला की इलायची का भाव भारत की तुलना में करीब 30 प्रतिशत ऊंचा चल रही है जबकि उसकी क्वालिटी कमजोर बताई जा रही है।
इसके फलस्वरूप भारत को अगले चार-पांच महीनों तक खासकर खाड़ी क्षेत्र के देशों में अपनी इलायची का निर्यात बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल सकता है जो इसका सबसे प्रमुख बाजार भी है।
समीक्षकों के अनुसार खाड़ी क्षेत्र के मुस्लिम बहुल देशों में छोटी इलायची में अभी तक रमजान की मांग जोर नहीं पकड़ पाई है लेकिन अगले महीने से इसकी मांग मजबूत हो सकती है।
चूंकि दोनों प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देशों- ग्वाटेमाला तथा भारत में स्टॉक कम है इसलिए आयातक देशों की मांग बढ़ने पर इलायची के दाम में अच्छी तेजी आ सकती है।
एक उत्साही विश्लेषक ने तो यहां तक कहा है कि जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही के दौरान छोटी इलायची का भाव तेजी से बढ़कर 3500 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंच सकता है।
बोदीनायकन्नूर के एक निर्यातक का कहना है कि सीमित स्टॉक को देखते हुए आयातकों की जोरदार मांग को पूरा करना चुनौती पूर्ण होगा।
वर्तमान समय में ऊंचे भाव के कारण घरेलू उत्पादक नियमित रूप से अपने स्टॉक की बिक्री कर रहे हैं और यह माल दिसावरी बाजारों में जा रहा है इसलिए आगामी महीनों में निर्यातकों को अपने अनुबंध का दायित्व निभाने के लिए समुचित मात्रा में इलायची का स्टॉक प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ सकता है।
लेकिन अगर इलायची के दाम में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई तो इसका कारोबार प्रभावित हो सकता है। घरेलू मांग कमजोर पड़ सकती है और विदेशी आयातकों की खरीद में भी कमी आ सकती है।
मध्य-पूर्व एशिया भारतीय इलायची का एक परम्परागत बाजार है और वहां आयातक ऊंची कीमतों को देखते हुए सावधानी बरत सकते हैं।
यह देखना भी आवश्यक होगा कि ग्वाटेमाला कब तक अपनी इलायची के दाम को ऊंचे स्तर पर कायम रखने में सफल हो पाता है। उसके अनुरूप ही भारत को भी अपने उत्पाद के दाम में परिवर्तन करना पड़ सकता है।