आपूर्तिकर्ता देशों में स्टॉक घटने से चावल का वैश्विक बाजार भाव सुधरने के आसार

30-Apr-2025 05:30 PM

हैदराबाद। भारत के बाद तीन प्रमुख चावल निर्यातक एशियाई देश- थाईलैंड, वियतनाम एवं पाकिस्तान के साथ-साथ म्यांमार में भी निर्यात योग्य स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है जिससे वहां कीमतों में सुधार आने की उम्मीद है।

इसका फायदा भारत को भी मिलेगा। भारत में चावल का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है और इसका निर्यात ऑफर मूल्य भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर चल रहा है।

हालांकि म्यांमार के चावल  का भाव कुछ नीचे है लेकिन इससे भारत पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि उसके पास अत्यन्त सीमित स्टॉक बचा हुआ है।

उद्योग समीक्षकों के अनुसार जब तक अन्य आपूर्तिकर्ता देशों में धान-चावल के नए माल की जोरदार आवक शुरू नहीं होती है तब तक भारत को चावल का निर्यात बढ़ाने का बेहतरीन अवसर मिल सकता है। 

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 35 लाख टन चावल का स्टॉक खुले बाजार में बेचने का निर्णय लिया गया है और इसके लिए दो टेंडर जारी होने वाले हैं। इससे घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों पर दबाव बना रह सकता है।

निर्यातकों का मानना है कि मई से भारतीय चावल का निर्यात बढ़ना शुरू हो सकता है और जून-जुलाई में इसकी रफ्तार पीक पर पहुंच सकती है। प्रमुख आयातक देशों में भारतीय चावल की अच्छी मांग निकलने की उम्मीद है। 

चालू वर्ष की पहली तिमाही में भारत से चावल का शानदार निर्यात हुआ इसलिए अप्रैल में इसके शिपमेंट की गति कुछ धीमी रही। चीन में 50 लाख टन एवं फिलीपींस में 45 लाख टन चावल का विशाल आयात होने की संभावना है

इसलिए वहां थाईलैंड, वियतनाम तथा म्यांमार की सक्रियता बनी रहेगी जबकि एशिया तथा अफ्रीका के अन्य देशों में भारत को चावल निर्यात के मामले में आगे बढ़ने का पूरा मौका मिल जाएगा। 

थाईलैंड और वियतनाम में चावल का भाव ऊंचा होने पर भारतीय निर्यातकों को भी अपने उत्पादन का ऑफर मूल्य बढ़ाने में सहायता मिलेगी।

भारत के गैर बासमती सफेद एवं सेला चावल का निर्यात ऑफर मूल्य पहले से ही विदेशी आयातकों के लिए आकर्षक बना हुआ है और यदि इसमें कुछ बढ़ोत्तरी हुई तब भी इसकी मांग पर असर नहीं पड़ेगा। अगले कम से कम तीन-चार महीनों तक चावल के वैश्विक निर्यात बाजार पर भारत का वर्चस्व बरकरार रह सकता है।