दलहनों एवं तिलहनों का मंडी भाव बढ़ाने हेतु नीतिगत उपायों की जरूरत
30-Oct-2025 07:45 PM
मुम्बई। खरीफ सीजन में उत्पादित होने वाले प्रमुख दलहनों- तुवर, उड़द एवं मूंग तथा महत्वपूर्ण तिलहनों- सोयाबीन एवं मूंगफली का थोक मंडी भाव अपने-अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे चल रहा है
जिससे उत्पादकों को अपनी फसल की लाभप्रद वापसी हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकारी खरीद देर से शुरू होने से स्थिति और भी जटिल हो जाती है।
हालांकि अब केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उड़ीसा, महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में किसानों से एमएसपी पर दलहन-तिलहन की खरीद की स्वीकृति प्रदान कर दी है लेकिन वहां खरीद प्रक्रिया आरंभ करने में अनावश्यक देर की जा रही है।
कर्नाटक में मूंग की खरीद एमएसपी पर होगी जबकि मध्य प्रदेश में सोयाबीन के लिए भावान्तर भुगतान योजना लागू की गई है। वहां इस योजना के तहत 22 लाख टन से अधिक सोयाबीन की खरीद बिक्री होने की संभावना है
और भावान्तर भुगतान योजना के तहत इसकी धनराशि भी निश्चित कर दी गई है। महाराष्ट्र में एमएसपी पर 18.50 लाख टन से ज्यादा सोयाबीन की खरीद की मंजूरी दी गई है।
राजस्थान के लिए अभी तक खरीद की मात्रा एवं भुगतान की राशि का निर्धारण नहीं हुआ है जबकि वह मूंग का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है।
मोटे अनुमान के अनुसार देश भर में मौजूदा खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान प्रचलित थोक मंडी भाव पर 10-12 लाख टन दलहन-तिलहन का कारोबार हो चुका है
और खासकर छोटे तथा सीमांत किसानों को न्यूतनम समर्थन मूल्य से काफी कम दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है क्योंकि इसकी भंडारण क्षमता अत्यन्त सीमित होती है
और उसे नकदी की ज्यादा जरूरत भी रहती है। उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने से दलहनों-तिलहनों की भारी सरकारी खरीद आरंभ हो जाएगी।
