तुवर का उत्पादन घटने पर हरी मसूर का आयात बढ़ना संभव

13-Sep-2023 01:29 PM

नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन में अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र 8 सितम्बर तक घटकर 42.90 लाख टन के करीब सिमट गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई बेहतर  45.61 लाख हेक्टेयर से 5.9 प्रतिशत कम है।

दो शीर्ष उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में पहले तुवर की बिजाई काफी पीछे चल रही थी लेकिन बाद में सुधरकर गत वर्ष के बहुत निकट पहुंच गई। अब वहां इसका क्षेत्र वर्ष 2022 के मुकाबले क्रमश: 4.21 प्रतिशत एवं 4.05 प्रतिशत ही पीछे है। 

म्यांमार में लेमन तुवर का भाव चेन्नई पहुंच के लिए उछलकर 1400 डॉलर प्रति टन के करीब पहुंच गया है जबकि वहां माल का भारी-भरकम स्टॉक भी मौजूद नहीं है। चेन्नई में लेमन तुवर का दाम 112.50 रुपए प्रति किलो (1350 डॉलर प्रति टन) चल रहा है।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा जून 2023 के प्रथम सप्ताह में अरहर (तुवर) के लिए भंडारण सीमा लागू किए जाने के बाद से इसके मूल्य में औसतन 150 डॉलर प्रति टन का भारी इजाफा हो चुका है जिससे अन्य कारकों के साथ तुवर की आपूर्ति एवं उपलब्धता में भारी कमी आने का स्पष्ट संकेत मिलता है।

ऊंचे भाव को देखते हुए म्यांमार के किसान चालू वर्ष के दौरान तुवर का बिजाई क्षेत्र बढ़ाकर इसके उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी का प्रयास कर रहे हैं। वहां इसका उत्पादन करीब 40 प्रतिशत उछलकर 3.75-4.00 लाख टन पर पहुंच जाने की उम्मीद है। इससे भारत में बेहतर आयात हो सकता है। 

अफ्रीकी देश मोजाम्बिक से नई तुवर का भू प्रतीक्षित शिपमेंट आरंभ हो चुका है और सितम्बर के अंतिम सप्ताह में इसकी खेप भारतीय बंदरगाह पर पहुंच जाने की उम्मीद है। 25 सितम्बर तक लगभग 20 हजार टन तुवर का शिपमेंट वहां पहुंच सकता है।

उधर कनाडा में हरी मसूर (लेयर्ड) का निर्यात ऑफर मूल्य सितम्बर-अक्टूबर तथा अक्टूबर-नवम्बर शिपमेंट के लिए 1250-1260 डॉलर प्रति टन चल रहा है जिसमें चेन्नई / तूतीकोरिन बंदरगाह तक का शिपमेंट खर्च भी शामिल है।

अंतिम कारोबार में इसका मूल्य 1220 डॉलर प्रति टन था। उधर रूस में नई फसल की हरी मसूर का निर्यात मूल्य चेन्नई / तूतीकोरिन पहुंच के लिए 1085 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा था जो सितम्बर-अक्टूबर शिपमेंट के लिए है।

इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि मोटी हरी मसूर तुवर का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि मलावी एवं सूडान जैसे अफ्रीकी देशों में तुवर का भाव कैसा रहता है।