तुवर: अतीत, वर्तमान और भविष्य

10-Jun-2025 12:03 PM

तुवर: अतीत, वर्तमान और भविष्य

वर्तमान स्थिति: रिकॉर्ड उत्पादन, फिर भी भाव कमजोर

★ खरीफ 2024 सीजन में तुवर का घरेलू उत्पादन सरकारी आंकड़ों के अनुसार 35.6 लाख टन रहा, जबकि व्यापारियों का अनुमान 32–33 लाख टन है।

★ MSP से नीचे कीमतों के कारण सरकार ने लगभग 6 लाख टन की रिकॉर्ड खरीद की, जो 2017-18 के 8.87 बाद की सबसे बड़ी खरीद है।

★ सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदे गए माल की बिक्री भी जल्द शुरू हो सकती है।

कीमतों में भारी गिरावट

★ पिछले सीजन में उत्पादन घटा था, जिससे तुवर की कीमतें रुपए10,000/क्विंटल से ऊपर चली गई थीं।

★ अब वही तुवर रुपए7,000/क्विंटल से नीचे बिक रही है, जिससे किसानों को बड़ा झटका लगा है।

वैश्विक आपूर्ति का दबाव

★ म्यांमार का उत्पादन पिछले वर्ष 3 लाख टन था, जो इस साल बढ़कर 3.5 लाख टन हो गया। जनवरी-दिसंबर 2024 में 3.13 लाख टन तुवर का निर्यात किया।

★ जनवरी–मई 2025 में म्यांमार ने 1.53 लाख टन का निर्यात किया, जो पिछले साल इसी अवधि में 1.62 लाख टन था।

★ अफ्रीकी देशों का उत्पादन भी 8 लाख टन से बढ़कर 9–10 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है।

आयात भी रिकॉर्ड स्तर पर

★ वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 12.23 लाख टन तुवर आयात की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.52 लाख टन अधिक है।

★ नतीजा: देश में तुवर की भरपूर उपलब्धता, जिससे मंडियों में भाव कमजोर बने हुए हैं।

किसान बेचैन, बिजाई को लेकर अनिश्चितता

★ इस बार सरकार ने MSP रुपए 450 बढ़ाकर रुपए 8000/क्विंटल किया है, लेकिन कम भावों के कारण बिजाई बढ़ने की संभावना कम दिख रही है।

★ किसानों/ उद्योग को डर है कि सरकार कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए फिर बड़े पैमाने पर आयात या बिक्री कर सकती है। वैसे भी आयात 31 मार्च 2026 तक आयात  मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।

भविष्य की तस्वीर: क्या भाव बढ़ेगे?

★ इस समय रिटेल और होलसेल मार्केट में डिमांड कमजोर है, लेकिन मानसून आगे बढ़ने के साथ डिमांड निकल सकती है।

★ बीते 2–3 वर्षों में जो रिकॉर्ड ऊँचे दाम देखे गए थे, उन्हें अब भूलना ही समझदारी होगी।

★ सरकार, देश और विदेश — तीनों के पास पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।

★ हालांकि, मौजूदा भाव को 'बॉटम' कहा जा सकता है, यानि यहीं से सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

★ जुलाई–अगस्त से बाजार में धीरे-धीरे रिकवरी देखने को मिल सकती है।

निष्कर्ष:

★ सरकार किसी भी हाल में कीमतों को बेकाबू नहीं होने देना चाहती — चाहे किसान/ उद्योग को नुकसान ही क्यों न हो।

★ तुवर की मौजूदा स्थिति न केवल उत्पादन या आयात की कहानी है, बल्कि यह बाजार, नीति और मानसून की जटिलता का भी आईना है।